......गतांक से आगे बढ़ते हुए


मित्रो,
कल मैं एक परिचर्चा लेकर आप सभी के समक्ष उपस्थित था ....विषय था हिंदी ब्लॉगिंग और आपकी सोच ? इस सन्दर्भ में आईये हिंदी के कुछ और प्रवुद्ध लोगों की राय जानते हैं -
हिंदी ब्लॉगिंग अभी तो शुरुआती दौर से ही गुजर रही है। एक छोटा-सा समाज है। लोग एक-दूसरे को जानने लगे हैं। परस्पर व्यक्तिगत संबंध स्थापित हो रहे हैं। बाद में शायद यह वाला आयाम न रहे। रोज नए लोग आ रहे हैं। समुदाय बढ़ता जा रहा है। कभी कभार थोड़े-बहुत विवाद हो जाते हैं, मगर जल्द ही हल भी हो जाते हैं। मैं हिन्दी ब्लॉगिंग के सुनहरे भविष्य के लिये पूर्णतः आशान्वित हूँ।आने वाले समय में हिंदी ब्लॉगिंग एक बडी ताकत के रूप में उभर कर सामने आएगी । इसलिए ब्लॉगिंग करने वाले हर ब्लॉगर को एक जिम्मेदारी का स्वत: अहसास होना चाहिए ।
- समीर लाल
(अन्तराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त हिंदी में अग्रपंक्ति के ब्लॉगर)

ब्लॉग लेखन से नए साहित्य का उदय हो रहा है, यह अद्भुत घटना है। साहित्य का लोकतान्त्रिक स्वरूप विकसित हो रहा है। ब्लॉग लेखन से उत्पन्न साहित्य प्रकाशक, वितरक, विज्ञापन दाताओं के दबाव से मुक्त है। यह साहित्य लोकतान्त्रिक है।
- गौहर रजा
( अन्तराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त शायर और जहांगीराबाद मीडिया इंस्टिट्यूट के निदेशक)

जहां तक हिंदी ब्लॉगिंग का प्रश्न है तो इसपर कहीं संगीत उपलब्ध है, कहीं कार्टून, कहीं चित्र तो कहीं वीडियो। कहीं पर लोग मिल-जुलकर पुस्तकें लिख रहे हैं तो कहीं तकनीकी समस्याओं का समाधान किया जा रहा है। ब्लॉग मंडल का उपयोग कहीं भाषाएं सिखाने के लिए हो रहा है तो कहीं अमर साहित्य को ऑनलाइन पाठकों को उपलब्ध कराने में। इंटरनेट पर मौजूद अनंत ज्ञानकोष में ब्लॉग के जरिए थोड़ा-थोड़ा व्यक्तिगत योगदान देने की लाजवाब कोशिश हो रही है। कुलमिलाकर इन गतिविधियों को सुखद कहा जा सकता है !
- बालेन्दु शर्मा दाधीच
(प्रमुख हिंदी पोर्टल प्रभासाक्षी.कॉम के समूह संपादक )

- जी. के. अवधिया
हिन्दी ब्लॉगिंग की दशा समाज से बेहतर को निकाल कर और अपने साथ लेकर बेहतरीन की ओर अग्रसर है जिससे समाज और ब्लॉगिंग की दिशा अपनेपन के प्रचार प्रसार में मुख्य भूमिका निभा रही है। इसका एक अहसास आप रोजाना कहीं-न-कहीं आयोजित हो रहे ब्लॉगर मिलन के संबंध में जारी की गई पोस्टो में महसूस कर सकते हैं और इसका सकारात्मक और स्वस्थ असर आप शीघ्र ही समाज पर महसूस करेंगे।
- अविनाश वाचस्पति
(हिंदी के हरफनमौला बलॉगर और व्यंग्यकार )
आप भी अपने विचारों से अवगत कराएं ताकि इस परिचर्चा को एक सार्थक आयाम दिया जा सके , जारी है परिचर्चा मिलते हैं एक विराम के बाद ........
इन विचार सूत्रों को लेकर एक बढियां विमर्श हो सकता है -गौहर जी की बात से पूरी तरह सहमत कि यह खालिस लोकतांत्रिक साहित्य है !
जवाब देंहटाएंब्लॉगिंग के पुरोधाओं की सकारात्मक सोट पढ़कर अच्छा लगा!
जवाब देंहटाएंमैं भी यह कामना करता हूँ कि नये-पुराने और विभिन्न विधाओं के शिल्पी ब्लॉगिंग से जुड़ें।
तभी तो हमारी भाषा समृद्ध होगी और
हिन्दी ब्लॉगिंग का रूप निखर कर
लोगों के सामने आयेगा।
अब तकनीकी का युग है और
ब्लॉगिंग एक सशक्त माध्यम है
देश-विदेश में अपनी बात पहुँचाने के लिए।।
bhaiajaan mudda gmbhir he is par chiintan ki zrurat he . akhtar khan akela kota rajsthan
जवाब देंहटाएंVery Nice.
जवाब देंहटाएं---------------
जीवन की हरियाली के पक्ष में।
इस्लाम धर्म में चमत्कार।
nootan srinkhal ke liye .... abhar
जवाब देंहटाएंsamayik vishay par sarthak charcha ......
pranam.
sabhi kee soch skaratmak ho to hindi bloging ko pragati path par badne se bhala kaun rok sakta hai .sbhi ke vichar achchhe lage .
जवाब देंहटाएंअन्य लोगों के विचार जानना सुखकर रहा...
जवाब देंहटाएंब्लागरी का विस्तार हो रहा है, जल्दी ही यह ताकत बन कर उभर सकती है।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब विमर्श चलने दीजीए ...बहुत बढिया विचार पढने देखने को मिल रहे हैं
जवाब देंहटाएंअच्छा विषय उठाया है आपने तरह तरह के विचार निकलकर सामने आ रहे हैं।
जवाब देंहटाएंबड़े ब्लॉगर कभी गलत नहीं होते ?
जवाब देंहटाएंबढ़िया विचार पढवाने के लिए आभार !
जवाब देंहटाएंअच्छा चल रहा है विमर्श .चलने दीजिए.
जवाब देंहटाएंसार्थक विमर्श बन पडा है। यह श्रेणी अनवरत जारी रहे तो विकास को दिशा मिलेगी।
जवाब देंहटाएंहिन्दी ब्लॉग पाठकों का रुझान बढाने की तीव्र आवश्यकता है।