
हिन्दी
ब्लॉग जगत एग्रीगेटरों के महत्व से ख़ासा परिचित है. जरा याद करें उन दिनों को जब
हमने एक ब्लॉग बनाया और उसे ब्लॉगवाणी और चिट्ठाजगत जैसे महत्वपूर्ण ब्लॉग एग्रीगेटरों
से जोड़ा तो हमारी रचनात्मकता से अधिक लोग बाकिफ हुए. इससे हमें यह भी लाभ हुआ कि अधिक
से अधिक लोग हमारे ब्लॉग तक आने लगे और हम ब्लॉग लेखन के प्रति और ज्यादा गम्भीर
होने लगे. हिन्दी ब्लॉग जगत को अगर हम इसकी शुरुआत से अब तक देखने, समझने का
प्रयास करें तो हमें यह सही ढंग से समझ आयेगा कि हिन्दी ब्लॉगिंग को इस मुकाम तक
पहुंचाने में ब्लॉग एग्रीगेटरों की भी महत्वपूर्ण भूमिका है. अब तक ज्ञात जानकारी
के अनुसार हिन्दी ब्लॉगजगत को सबसे पहला
ब्लॉग एग्रीगेटर चिट्ठाविश्व
के रूप में (18/06/2004) को
मिला. जिसे देवाशीष
चक्रवर्ती ने
बनाया था. लेकिन समय के साथ यह ब्लॉग एग्रीगेटर तकनीकी समस्याओं के चलते बंद हो
गया. इसके बाद हिन्दी ब्लॉग जगत को नारद
के रूप में ब्लॉग
एग्रीगेटर मिला और फिर इसी दौरान पीयूष प्रतीक
का ब्लॉग एग्रीगेटर यह श्रंखला आगे बढती
गयी. हालाँकि इन सभी ब्लॉग एग्रीगेटरों के विभिन्न पक्षों पर मैंने काफी सामग्री
संकलित की थी, लेकिन काफी सारे लिंक काम नहीं कर रहे हैं तो संक्षेप में ही बात
कहने का प्रयास कर रहा हूँ.
हिन्दी
ब्लॉगजगत में चिट्ठाजगत और ब्लॉगवाणी
जैसे
ब्लॉग एग्रीगेटरों का अपना खास महत्व है. इसके साथ ही कनिष्क कश्यप द्वारा संचालित
ब्लॉगप्रहरी
भी खासा उन्नत ब्लॉग एग्रीगेटर है. जो अभी भी हिन्दी ब्लॉग जगत में अपनी सक्रीय
भूमिका निभा रहा है. तकनीकी रूप से उन्नत इस ब्लॉग एग्रीगेटर में अनेक सुविधाएं
ब्लॉगरों के लिए उपलब्ध हैं. इधर शाहनबाज द्वारा
हिन्दी ब्लॉगरों के लिए समर्पित ब्लॉग एग्रीगेटर हमारीबाणी
भी
हिन्दी ब्लॉग जगत की ताजा हलचल से पाठकों को रूबरू करवाने में अपमनी भूमिका सशक्त
तरीके से निभा रहा है. हिन्दी
ब्लॉग जगत की शुरुआत से ही इस दिशा में प्रयास किये जा रहे हैं
कि कोई ऐसा माध्यम हो जहाँ पर हिन्दी भाषा में लिखे जा रहे जालस्थलों के सभी लिंक
उपलब्ध हों. चिट्ठाजगत जब बंद हुआ था उस समय वहां 15000 ब्लॉग पंजीकृत थे. इससे चिट्ठाजगत
की लोकप्रियता का पता चलता है. चिट्ठाजगत के बंद होने के बाद उसे शुरू करने के
प्रयास किये गए और ऐसी भी ख़बरें आयीं कि अब चिट्ठाजगत शुरू हो रहा है, लेकिन
परिणाम सार्थक नहीं रहा. ब्लॉगबाणी की
जहां तक बात है यह अभी भी अस्तित्व में है, लेकिन इस पर 18 जून 2010 से कोई अद्यतन
पोस्ट नहीं दिखाई देते. ब्लॉगबाणी पाठकों की सुविधाओं और ब्लॉगरों की रूचि के
अनुसार एक सुविधा संपन्न और उन्नत ब्लॉग एग्रीगेटर था. हम इस
ब्लॉग एग्रीगेटर पर जाकर इसकी सुविधाओं का अवलोकन कर सकते हैं.
हिन्दी को तकनीक के साथ जोड़ने में अपना अमूल्य योगदान देने वाले मैथिली
जी ने इस ब्लॉग एग्रीगेटर का निर्माण
किया था. जब तक ब्लॉगबाणी और चिट्ठाजगत जैसे ब्लॉग एग्रीगेटर सक्रीय थे तब तक
ब्लॉगजगत में एक अनूठा माहौल बना रहता था, लेकिन जैसे ही यह ब्लॉग एग्रीगेटर बंद
हुए उसके बाद धीरे-धीरे ब्लॉग जगत में वह हलचल नहीं रही और एक समय ऐसा कहा जाने
लगा कि ब्लॉगिंग अब इतिहास की चीज हो गयी है, और दूसरी तरफ सोशल नेटवर्किंग साइट्स
ने भी ब्लॉगिंग को काफी हद तक प्रभावित किया है. इन सब बातों और तर्कों के साथ यह
तर्क भी है कि जो लोग ब्लॉगिंग के लिए गम्भीर हैं और जो इसकी महता को समझते हैं वह
अनवरत इस दिशा में अपने कदम बढ़ा रहे हैं.

अब
हमें यहाँ इस बात पर थोडा सा विचार कर लेना चाहिए कि हिन्दी ब्लॉग जगत की शुरुआत
हुए लगभग दस से अधिक वर्ष का समय बीत चुका है, और ऐसे में हिन्दी के जो प्रारम्भिक
ब्लॉगर हैं या जो अभी पिछले चार-पांच वर्षों से ब्लॉगिंग के क्षेत्र में सक्रीय
हैं उन ब्लॉगरों और ब्लॉगों को एग्रीगेटरों की क्या आवश्यकता है? क्योँकि एक तरफ
तो उनकी ब्लॉग पर पोस्टों की संख्या कम से कम 500 से अधिक होगी और उनके ब्लॉग के
अनुसरण कर्ताओं की संख्या भी इससे अधिक हो गयी होगी. ऐसे में जब कोई ब्लॉगर अपन
ब्लॉग पर पोस्ट लिखेगा तो कम से कम उसे 500 से अधिक लोग एक दिन में देख सकते हैं
और फिर सर्च इंजन के माध्यम से आने वाले पाठकों की तो कोई सीमा नहीं है, और जो नए
ब्लॉगर हैं वह भी अपने लेखन और ब्लॉग पर सक्रियता के कारण एक दिन इस मुकाम को
हासिल कर लेंगे. आज जिस तरह सोशल नेटवर्किंग का दौर चल रहा है ऐसे में किसी नयी
चीज को प्रचारित करना भी बहुत आसान हो गया है, तो किसी नए जन्मे ब्लॉग को पाठकों
तक पहुँचाने के और भी जरिये हो सकते हैं ऐसे में एक नए ब्लॉग एग्रीगेटर के क्या आवश्यकता
है? यह एक सीधा सा प्रश्न है और इसका जबाब उतना ही कठिन. लेकिन अगर मैं अपनी अल्प
बुद्धि से सोचूं तो मुझे एक नए ब्लॉग एग्रीगेटर की महती आवश्यकता महसूस हुई और इस
दिशा में मैंने एक छोटा सा कदम बढ़ाया और आप सबके सहयोग से उसे मूर्त रूप देने में
सक्षम हुआ, अभी तो ब्लॉगसेतु
की सिर्फ कोंपल ही फूटी है, इसे अभी वृक्ष
बनाना है और फिर कहीं हम इससे फल की अपेक्षा कर सकते हैं. हर किसी को इसे सहेजना
होगा, सींचना होगा और इसकी ठंडी छाया में बैठकर हिन्दी ब्लॉग जगत को समृद्ध करने
के, इसे और बेहतर बनाने के प्रयासों को मूर्त रूप देना होगा.
जहाँ
तक मेरा अपना प्रश्न है तो मैं इस बात को स्वीकार करता हूँ कि मैं ब्लॉगिंग की बजह
से ब्लॉग जगत का हिस्सा नहीं हूँ. मैं ब्लॉगिंग पर शोध की बजह से ब्लॉग जगत का
हिस्सा हूँ. ब्लॉगसेतु
के
निर्माण में इस पक्ष को बहुत मजबूती से उद्घाटित करने का प्रयास किया गया है.
हिन्दी ब्लॉग जगत के आंकड़ों के लिए हमें कई अन्य स्रोतों पर निर्भर रहना पड़ता है
और जरुरी नहीं कि जो आंकड़े हमें वहां से उपलब्ध हो रहे हैं वह हमारे लिए सही हों. इंडी
ब्लॉगर एक
अच्छा प्रयास है लेकिन उसकी अपनी कुछ सीमायें हैं, ब्लॉगर के विषय में हम गूगल से
सीधे कोई ख़ास आंकड़े प्राप्त नहीं कर सकते, क्योँकि यह गूगल की गोपनीय नीति के
अनुकूल सही नहीं है, तो ऐसी स्थिति में एक ही विकल्प बचता है वह यह कि किसी ऐसे
साधन का विकास किया जाए जो हमें हिन्दी ब्लॉगिंग के विषय, में बृहत्, प्रमाणिक और अद्यतन जानकारी उपलब्ध
करवाए. इस नजरिये से ब्लॉग सेतु का निर्माण किया गया है. हम अभी इसके एक ही चरण के
कार्य को सरंजाम तक पहुँचाने में लगे हैं, और हमें ब्लॉग जगत से काफी अच्छा सहयोग
मिला है, लगभग दो माह के अल्प अवधि में ही इससे जुड़ने वाले ब्लॉगरों के संख्या 130
के आस पास है और ब्लॉगसेतु में 250 ब्लॉग अभी तक पंजीकृत हो चुके हैं. ब्लॉगसेतु
पर प्रदत्त सुविधाओं के लिए हमें इसका सूक्षम अवलोकन करना होगा, लेकिन यह सब हम तब
कर पायेंगे जब हम स्वयं ब्लॉग सेतु में रूचि लेते हुए इसके विषय में जानकरी हासिल करने
का प्रयास करेंगे... तो क्योँ न आज ही हम ब्लॉग सेतु
से जुड़ें .... !!!
केवल
राम
शुभकामनाऐं ।
जवाब देंहटाएंदूर से ही सलाम।
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन अच्छी खबरें आती है...तभी अच्छे दिन आते है - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएं(h) (h) (h)
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई हो
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सराहनीय !!
जवाब देंहटाएंआदरणीय केवल भाई
जवाब देंहटाएंउच्च गुणवत्ता
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