कल मैंने ब्लॉग परिक्रमा की शुरुआत वर्ष २००७ के विश्लेषण से किया था, प्रस्तुत है उस विश्लेषण की दूसरी कड़ी -
गूँज रहा है "रेडियो" "ई-मिरची" के संग !
"बाल किशन" का ब्लोग भी , खूब दिखाया रंग !!
"बाल किशन" का ब्लोग भी , खूब दिखाया रंग !!
"शब्द लेख" यह सारथी, और "संजय" उवाच !
"अंकुर गुप्ता" ढूंढ रहे, "हिन्दी पन्ना" आज !!
लाये विनोद "हसगुल्ले" "संजय" देखें जोग !
" आशीष महर्षि" बोले, बनाबा दो अब योग !!
दूर खड़े ही सोचते, रह-रहकर "उन्मुक्त " !
"चक्रव्यूह " के व्यूह से, कब होंगे हम मुक्त !!
"चक्रव्यूह " के व्यूह से, कब होंगे हम मुक्त !!
आपण "सचिन लुधियानवी" " कंचन सिंह चौहान" !
एक धार में बह रहे , " सुखन साज़ " " इरफान " !!
एक धार में बह रहे , " सुखन साज़ " " इरफान " !!
कोलकत्ते में "मीत" क्यों , खोज रहे हैं मीत !
गजल हुयी है बेवफा , खंडित हो गए गीत !!
गजल हुयी है बेवफा , खंडित हो गए गीत !!
"अन्तरध्वनि " में नीरज जी, " महक " बिखेरें आज !
छंद की गरिमा ढूंढें, " वाचस्पति अविनाश " !!
छंद की गरिमा ढूंढें, " वाचस्पति अविनाश " !!
" अनुगुन्जन " और " इयता " सुन्दर सा है ब्लोग !
संकृत्यायन कह रहे , मेरा है यह शौक !!
" नोटपैड " पर लिखिये , जो जी में आ जाये !
या " कबाड़ " में फेंकिये , उल्टी- सीधी राय !!
या " कबाड़ " में फेंकिये , उल्टी- सीधी राय !!
" विनीत कुमार " की गाहे, और बगाहे बात !
" जोशिम " के संग गाईये , ग़ज़ल अगर हो याद !!
"पुनीत ओमर " " अर्बूदा " , "अनिल " कलम के साथ !
लिखें क्या अब ब्लोग में, पीट रहे हैं माथ !!
"नारद" घूमे ब्लोग पे, चाहे जागे सोय !
नर हो या नारायण हो, चर्चा सबकी होय!!
मतलब वाली बतकही, करती है दिन-रात !
अपनी भी "परिकल्पना" हो गयी है कुख्यात !!
यह क्रम अभी जारी है ..........
उपयोगी जानकारी
जवाब देंहटाएंअच्छी जानकारी दे रहे हैं आप, आपका आभार !
जवाब देंहटाएंउपयोगी जानकारी के लिए धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंachchhi jankari dene ke liye shukriya janab
जवाब देंहटाएंअब आप के इस विश्लेषण को गंभीरता से ले रहे हैं और अगली कड़ी का इंतजार है
जवाब देंहटाएंसुंदर रवि की परिकल्पना,
जवाब देंहटाएंहुआ नया प्रभात।
करे कालचक्र परिक्रमा
पुरा-नव साथी साथ॥
क्या बात है ,अच्छी ब्लाग चालीसा ।
जवाब देंहटाएंजय हो!
जवाब देंहटाएंGot good links---thanks.
जवाब देंहटाएंye bhee thik hai janab.narayan narayan
जवाब देंहटाएंउपयोगीविश्लेषण !!!
जवाब देंहटाएंशानदार प्रयास बधाई और शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंएक विचार : चाहे कोई माने या न माने, लेकिन हमारे विचार हर अच्छे और बुरे, प्रिय और अप्रिय के प्राथमिक कारण हैं!
-लेखक (डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश') : समाज एवं प्रशासन में व्याप्त नाइंसाफी, भेदभाव, शोषण, भ्रष्टाचार, अत्याचार और गैर-बराबरी आदि के विरुद्ध 1993 में स्थापित एवं 1994 से राष्ट्रीय स्तर पर दिल्ली से पंजीबद्ध राष्ट्रीय संगठन-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान- (बास) के मुख्य संस्थापक एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। जिसमें 05 अक्टूबर, 2010 तक, 4542 रजिस्टर्ड आजीवन कार्यकर्ता राजस्थान के सभी जिलों एवं दिल्ली सहित देश के 17 राज्यों में सेवारत हैं। फोन नं. 0141-2222225 (सायं 7 से 8 बजे), मो. नं. 098285-02666.
E-mail : dplmeena@gmail.com
E-mail : plseeim4u@gmail.com
आप ने लिखा ऐसा लग रहा जादू जैसा
जवाब देंहटाएंसच है तोड़ नही ऐसा ब्लोग बनाएगा बहुत पैसा