गतांक से आगे बढ़ते हुए -
साझा संवाद, साझी विरासत, साझी धरोहर, साझा मंच आप जो मान लीजिये हिंदी ब्लॉग जगत की एक कैफियत यह भी है । विगत तीन कड़ियों में आपने अवश्य ही महसूस किया होगा कि हम इस आलेख के माध्यम से यही बातें पूरी दृढ़ता के साथ आपसे साझा करते आ रहे हैं , कुछ यादों, कुछ इबारतों और कुछ तस्वीरों के मार्फ़त । स्मृतियाँ सदैव सुखद ही होती हैं , वह चाहे जैसी भी हो ।
कहते हैं इतिहास के गर्भ में हमेशा भविष्य के पाँव होते हैं । नींव के पत्थर न हो तो अट्टालिकाएं कहाँ होंगी भला ? यह बात भी हमें मथती ही है । इसी बात के मद्देनज़र हम लगातार आपके साथ गुजरे वक़्त की यादों को साझा कर रहे हैं । तो आईये अपनी साझी विरासत को साझा करने के क्रम में आपसे रूबरू कराते हैं कुछ प्रारंभिक ब्लोगरों से -
पूर्णिमा वर्मन ( वर्ष-२००२ )
वेबसाईट:http://www.anubhuti-hindi.org/
साझा संवाद, साझी विरासत, साझी धरोहर, साझा मंच आप जो मान लीजिये हिंदी ब्लॉग जगत की एक कैफियत यह भी है । विगत तीन कड़ियों में आपने अवश्य ही महसूस किया होगा कि हम इस आलेख के माध्यम से यही बातें पूरी दृढ़ता के साथ आपसे साझा करते आ रहे हैं , कुछ यादों, कुछ इबारतों और कुछ तस्वीरों के मार्फ़त । स्मृतियाँ सदैव सुखद ही होती हैं , वह चाहे जैसी भी हो ।
कहते हैं इतिहास के गर्भ में हमेशा भविष्य के पाँव होते हैं । नींव के पत्थर न हो तो अट्टालिकाएं कहाँ होंगी भला ? यह बात भी हमें मथती ही है । इसी बात के मद्देनज़र हम लगातार आपके साथ गुजरे वक़्त की यादों को साझा कर रहे हैं । तो आईये अपनी साझी विरासत को साझा करने के क्रम में आपसे रूबरू कराते हैं कुछ प्रारंभिक ब्लोगरों से -
पूर्णिमा वर्मन ( वर्ष-२००२ )
वेबसाईट:http://www.anubhuti-hindi.org/
पूर्णिमा वर्मन की साइट शुरू हुये ९ साल हो गये। इस लिहाज से उनकी सक्रियता २००२ से मानी जानी चाहिये http://www.nirantar.org/0505-vishesh
इसके अलावा उनका अपना ब्लॉग भी है।
इसके अलावा उनका अपना ब्लॉग भी है।
परिचय: जन्म : २७ जून १९५५ शिक्षा : संस्कृत साहित्य में स्नातकोत्तर उपाधि, स्वातंत्र्योत्तर संस्कृत साहित्य पर शोध, पत्रकारिता और वेब डिज़ायनिंग में डिप्लोमा। कार्यक्षेत्र : पीलीभीत (उत्तर प्रदेश, भारत) की सुंदर घाटियों जन्मी पूर्णिमा वर्मन को प्रकृति प्रेम और कला के प्रति बचपन से अनुराग रहा। मिर्ज़ापुर और इलाहाबाद में निवास के दौरान इसमें साहित्य और संस्कृति का रंग आ मिला। पत्रकारिता जीवन का पहला लगाव था जो आजतक साथ है। खाली समय में जलरंगों, रंगमंच, संगीत और स्वाध्याय से दोस्ती। संप्रति : पिछले बीस-पचीस सालों में लेखन, संपादन, स्वतंत्र पत्रकारिता, अध्यापन, कलाकार, ग्राफ़िक डिज़ायनिंग और जाल प्रकाशन के अनेक रास्तों से गुज़रते हुए फिलहाल संयुक्त अरब इमारात के शारजाह नगर में साहित्यिक जाल पत्रिकाओं 'अभिव्यक्ति' और 'अनुभूति' के संपादन, हिन्दी विकीपीडया में योगदान देने और कलाकर्म में व्यस्त।
विनय जैन( वर्ष-२००३)
इनके प्रारंभिक ब्लॉग है :
http://hindi.blogspot.com/
परिचय:हिन्दी चिट्ठा जगत के वासी यहीं के एक और बाशिंदे, हिंदी ब्लॉग वाले विनय जैन से जरूर वाक़िफ होंगे। देखा जाए तो यह हिन्दी का पहला समूह ब्लॉग है, विनय के अलावा आलोक भी इस चिट्ठे पर अपना योगदान देते हैं। विनय हिन्दी भाषा के अखंड उपासक हैं और लो प्रोफाईल रखने में यकीन रखते हैं। विनय ने अक्टूबर 2002 में "हिंदी ब्लॉग" की शुरुआत की थी, उस समय हिन्दी चिट्ठाकारी के बारे में कम ही लोग जानते होंगे, विनय को याद है कि आलोक का ही पहला ऐसा चिट्ठा था जो पूर्णतः हिन्दी में लिखा जाता था। हालाँकि पहला हिन्दी चिट्ठा शायद विनय ने ही लिखा था पर नौ दो ग्यारह को ही वे हिन्दी का प्रथम सम्पूर्ण हिन्दी ब्लॉग मानते हैं। चिट्ठे के अलावा विनय गीतायन तथा मनबोल से भी संबद्ध हैं। गूगल के हिन्दी रूप के अनुवाद कार्य से भी विनय जुड़े रहे हैं।
दीना मेहता ( वर्ष-२००३)
इनके प्रारंभिक ब्लॉग है :http://www.dinamehta.com/
परिचय: दीना मुम्बई स्थित गुणात्मक शोध परामर्शदाता हैं। उन्हें 16 वर्ष का कार्यानुभव है। सामाजिक मीडीया और तकनलाजी में उनका शोध तब प्रारंभ हुआ जब 2003 में उन्होंने अपने ब्लॉग कि स्थापना की। एक शोधकर्ता और खोजी के रूप में दीना की सामाजिक तंत्र सेवाएँ, औज़ार तथा तकनीकों में विशेष रुचि है। इस से आते बदलाव कि परख के लिए वे दुनिया भर के लोगों के साथ बातचीत में मुबतला हैं। दीना वर्ल्ड चेनजिंग और द साउथ-ईस्ट एशिया अर्थक्वेक एंड त्सुनामीज़ ब्लॉग के लिए भी लिखती हैं , किन्तु हिंदी में नहीं अंग्रेजी में ! इस लिहाज से इन्हें हिंदी का ब्लोगर तो नहीं माना जा सकता मगर निरंतर आदि पत्रिकाओं में इनके हिंदी लेख प्रकाशित है इसीलिए यहाँ उल्लेख किया गया ।
देबाशीष चक्रवर्ती ( वर्ष-२००३-२००४ )
इनके प्रारंभिक ब्लॉग है :http://nuktachini.blogspot.com/
जिसे बाद में http://www.debashish.com/ पर स्थानांतरित कर दिया गया ।
परिचय: पुणे स्थित एक सॉफ्टवेयर सलाहकार देबाशीष चक्रवर्ती हिन्दी के शुरुवाती ब्लॉगरों में से एक हैं। वे इंटरनेट पर Geocities के दिनों से सक्रिय रहे हैं, उन्होंने अक्टूबर 2002 में अपना अंग्रेज़ी ब्लॉग नल प्वाइंटर और नवंबर 2003 में हिन्दी चिट्ठा नुक्ताचीनी आरंभ किया। देबाशीष DMOZ पर संपादक रहे हैं। उन्होंने हिन्दी व भारतीय भाषाओं के ब्लॉग पर एक जालस्थल चिट्ठा विश्व भी शुरु किया था, यह हिन्दी व भाषाई ब्लॉग्स का सबसे पहला एग्रीगेटर था। उन्होंने वर्डप्रेस, इंडिक जूमला तथा आई जूमला जैसे अनेक अनुप्रयोगों के हिन्दीकरण में योगदान दिया है। 2005 में उन्होंने इस पत्रिका (जिसे पूर्व में निरंतर के नाम से जाना जाता था) का प्रकाशन अन्य साथी चिट्ठाकारों के साथ आरंभ किया। देबाशीष ने इंडीब्लॉगीज नामक वार्षिक ब्लॉग पुरुस्कारों की स्थापना भी की है। उन्हें बुनो कहानी तथा अनुगूंज जैसे सामुदायिक प्रयासों को शुरु करने का भी श्रेय जाता है। संप्रति ब्लॉग लेखन के अलावा हिन्दी पॉडकास्ट पॉडभारती पर सक्रिय हैं और यदाकदा अंग्रेज़ी व हिन्दी विकिपीडिया पर योगदान देते रहते हैं।
परिचय: पुणे स्थित एक सॉफ्टवेयर सलाहकार देबाशीष चक्रवर्ती हिन्दी के शुरुवाती ब्लॉगरों में से एक हैं। वे इंटरनेट पर Geocities के दिनों से सक्रिय रहे हैं, उन्होंने अक्टूबर 2002 में अपना अंग्रेज़ी ब्लॉग नल प्वाइंटर और नवंबर 2003 में हिन्दी चिट्ठा नुक्ताचीनी आरंभ किया। देबाशीष DMOZ पर संपादक रहे हैं। उन्होंने हिन्दी व भारतीय भाषाओं के ब्लॉग पर एक जालस्थल चिट्ठा विश्व भी शुरु किया था, यह हिन्दी व भाषाई ब्लॉग्स का सबसे पहला एग्रीगेटर था। उन्होंने वर्डप्रेस, इंडिक जूमला तथा आई जूमला जैसे अनेक अनुप्रयोगों के हिन्दीकरण में योगदान दिया है। 2005 में उन्होंने इस पत्रिका (जिसे पूर्व में निरंतर के नाम से जाना जाता था) का प्रकाशन अन्य साथी चिट्ठाकारों के साथ आरंभ किया। देबाशीष ने इंडीब्लॉगीज नामक वार्षिक ब्लॉग पुरुस्कारों की स्थापना भी की है। उन्हें बुनो कहानी तथा अनुगूंज जैसे सामुदायिक प्रयासों को शुरु करने का भी श्रेय जाता है। संप्रति ब्लॉग लेखन के अलावा हिन्दी पॉडकास्ट पॉडभारती पर सक्रिय हैं और यदाकदा अंग्रेज़ी व हिन्दी विकिपीडिया पर योगदान देते रहते हैं।
अनूप शुक्ला (२००३-२००४ )
इनके प्रारंभिक ब्लॉग है : http://fursatiya.blogspot.com/ जिसे बाद में इनके द्वारा
http://hindini.com/fursatiya पर स्थानांतरित कर दिया गया ।
परिचय:जन्म: 16 सितंबर, 1963. शिक्षा: बी.ई़.(मेकेनिकल), एम ट़ेक (मशीन डिज़ाइन). संप्रति: भारत सरकार रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत आयुध निर्माणी में राजपत्रित अधिकारी। इंटरनेट पर नियमित लेखन। आपका हिन्दी चिट्ठा फुरसतिया खासा लोकप्रिय है। अनूप निरंतर पत्रिका के मुख्य संपादक रहे हैं और चिट्ठा चर्चा करते रहते हैं।
रविशंकर श्रीवास्तव(२००३-२००४ )
इनके प्रारंभिक ब्लॉग है :
http://raviratlami.blogspot.com/
परिचय:रविशंकर श्रीवास्तव नामचीन हिन्दी चिट्ठाकार, तकनीकी सलाहकार व तकनीकी अनुवादक हैं। आप मध्य प्रदेश शासन में टेक्नोक्रेट रह चुके हैं। आपने लिनक्स तंत्रांशों के हिन्दी अनुवादों के लिए भागीरथी प्रयास किए हैं। आपने गनोम, केडीई, एक्सएफसीई, डेबियन इंस्टालर, ओपन ऑफ़िस मदद इत्यादि सैकड़ों प्रकल्पों का हिन्दी अनुवाद स्वयंसेवी आधार पर किया है। वर्ष 2007-09 के लिए आप माइक्रोसॉफ़्ट मोस्ट वेल्यूएबल प्रोफ़ेशनल से पुरस्कृत हैं तथा केडीई हिन्दी टोली के रूप में प्रतिष्ठित राष्ट्रीय फॉस.इन 2008 से पुरस्कृत हैं। सराय द्वारा FLOSS फेलोशिप के तहत केडीई के छत्तीसगढ़ी स्थानीयकरण के महती कार्य के लिये, जिसके अंतर्गत उन्होंने 1 लाख से भी अधिक वाक्यांशों का छत्तीसगढ़ी में अनुवाद किया, रवि को 2009 के प्रतिष्ठित मंथन पुरस्कार द्वारा सम्मानित किया गया।
अतानु दे (वर्ष-२००४)
इनके प्रारंभिक ब्लॉग है :
अतानु डे का ब्लॉग दिशा २००४ की इंडीब्लॉगीज़ प्रतोयोगिता में बेस्ट इंडीब्लॉग के पुरस्कार से नवाज़ा गया है। अतानु मैकेनिकल इंजीनियर हैं और कंप्यूटर साईंस में स्नात्तकोत्तर। तकरीबन 6 साल उन्होंने सिलिकॉन वैली में ह्यूलेट पैकार्ड के लिये उत्पाद विपणन का कार्य किया। पाँच साल तक भारत, अमरीका और यूरोप की खाक छानी और फिर यह एहसास हुआ कि अर्थशास्त्र के बारे में तो कुछ जानते ही नहीं। तो उन्होंने बर्कले स्थित यूनिवर्सिटी आफ कैलिफॉर्निया से अर्थशास्त्र पढ़ा और भारतीय दूरसंचार क्षेत्र पर अपना शोधप्रबंध पूरा किया। अपने खाली समय में अतानु शास्त्रीय संगीत सुनते हैं, विपासना ध्यान लगाते हैं, भौतिक विज्ञान पढ़ते हैं, बौद्ध धर्म पर व्याख्यान देते हैं और अपने ब्लॉग पर लिखते हैं। उनकी कवितायें भी प्रकाशित हो चुकी हैं,किन्तु हिंदी में नहीं अंग्रेजी में ! इस लिहाज से इन्हें हिंदी का ब्लोगर तो नहीं माना जा सकता मगर निरंतर आदि पत्रिकाओं में इनके हिंदी लेख प्रकाशित है इसीलिए यहाँ उल्लेख किया गया ।
जीतेंद्र चौधरी ( वर्ष-२००४)
इनके प्रारंभिक ब्लॉग है :http://merapanna.blogspot.com/ जिसे बाद में इनके द्वारा
http://www.jitu.info/merapanna/ पर स्थानांतरित कर दिया गया ।
परिचय:जीतेंद्र चौधरी कुवैत में रहते हैं और लोकप्रिय हिंदी ब्लॉगर हैं। जीतू सॉफ्टवेयर और तकनीकी मार्केटिंग से जुड़े हैं लेकिन उनके 'मेरा पन्ना' ब्लॉग पर कंप्यूटर की तकनीकी जानकारी से लेकर भारत के गांव तक की बातें पढ़ने को मिल जाती है। इसके अलावा जीतू हिंदी चिट्ठों के एग्रीगेटर नारद के संचालक हैं।
अतुल अरोरा (वर्ष-२००४ )
इनका प्रारंभिक ब्लॉग है :http://rojnamcha.aroradirect.com/ जिसे बाद में इनके द्वारा -
http://lifeinahovlane.blogspot.com/ पर स्थानांतरित कर दिया गया ।
परिचय:जन्म: 7 मई 1970¸ कानपुर में। शिक्षा: पीपीएन कॉलेज कानपुर से बीएससी, एचबीटीआई से मास्टर ऑफ कंप्यूटर एप्लिकेशन। कार्यक्षेत्र: फिलाडेल्फिया में एक कंप्यूटर प्रोग्रामर की हैसियत से कार्यरत। सिनेमा¸ भ्रमण एवं फोटोग्राफी में रुचि। शौकिया तौर पर एक ब्लॉग रोजनामचा लिखना शुरू किया¸ जिसमें हल्के–फुल्के विषयों से लेकर राजनीति जैसे गंभीर विषयों पर निजी विचार व्यक्त कर छपास की निजी पीड़ा को बुझाया है। अमेरिका प्रवास में हुए अनुभवों में हास्यमिश्रण कर उन्हें एक छोटी पुस्तक का रूप देने की कोशिश है 'लाइफ इन ए एचओवी लेन' में। इनका हिन्दी चिट्ठा है रोजनामचा जो वर्ष 2004 में इंडीब्लॉगीज़ पुरस्कार से नवाजा़ जा चुका है।
ई-स्वामी (वर्ष-२००४ )
इनका प्रारंभिक ब्लॉग है :http://eswami.blogspot.com/ जिसे बाद में इनके द्वारा -
http://hindini.com/hindini पर स्थानांतरित कर दिया गया ।
परिचय:ई-स्वामी दरअसल इनका छद्मनाम है और इनके चिट्ठे का नाम भी! इन्दौर, मध्यप्रदेश में जन्मे, पले-बढे। कुछ समय दिल्ली में रहे, फ़िर अमरीका में बस गये। सू़चना-विज्ञान में स्नातक और स्नातकोत्तर शिक्षा प्राप्त।
पंकज नरूला (वर्ष-२००४)
इनका प्रारंभिक ब्लॉग है :
http://pnarula.com/
परिचय:मिर्ची सेठ पंकज नरूला की चिट्ठाकारी के प्रति प्रतिबद्धतता का उदाहरण इस बात से भी दिया जा सकता है कि उन्होंने ब्लॉगर पर अपना चिट्ठा प्रारंभ करने के पश्चात जल्दी ही अपनी निजी होस्टिंग की ओर रूख कर लिया। पंकज हिन्दी चिट्ठाजगत से कई अनूठे प्रयासों के प्रणेता रहे हैं, जिनमें चिट्ठाकारों की अपनी चौपाल अक्षरग्राम, सार्वजनिक विकि सर्वज्ञ, ब्लॉग एग्रीगेटर नारद इत्यादि। जब हिन्दी ब्लॉगज़ीन निरंतर की होस्टिंग की बात आई तो पंकज ने सहर्ष इसकी होस्टिंग अपने जालस्थल पर करने का जिम्मा उठाया था। अम्बाला में जन्मे पंकज चंडीगढ़ स्थित पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज से विद्युत अभियांत्रिकि में स्नातक हैं। पिछले कुछ वर्षों से वे सैन होज़े में सैप कंसलटिंग में कार्यरत हैं। ब्लॉग लेखन के ख्यात माध्यम मूवेबल टाईप एवं वर्डप्रैस का हिन्दी में स्थानीयकरण सम्पूर्ण करने के साथ साथ वे हिन्दी से जुड़े तकनीकी मुद्दों पर अपनी राय और भागीदारी देते रहते हैं। पंकज अपने चिट्ठों मिर्ची सेठ औऱ बीटा थॉट्स के ज़रिए अपनी बात कहते हैं। भाषा के सौन्दर्य एवं लेखन विन्यास में रुचि रखने वाले पंकज हिन्दी में अपनी बात करने को माँ से बात करने के समान ही मानते हैं। उनके लेखन का लहज़ा हल्का फुलका और मज़ाहिया होता है और यही बात पाठकों को भाती भी है।
संजय बेंगाणी( वर्ष-२००५ )
इनका प्रारंभिक ब्लॉग है :
www.tarakash.com/joglikhi
परिचय:वर्तमान में ये भारत के अहमादाबाद (कर्णावती) शहर से मीडिया कम्पनी चला रहे हैं , हिन्दी के प्रति मोह राष्ट्रवादी विचारधारा की छाया में पनपा. इन्हें जिस काम में सबसे ज्यादा आनन्द मिलता है वे है अभिकल्पना और वेब-अनुप्रयोगों का हिन्दीकरण. ये रेखाचित्र भी बना लेते हैं और थोड़ा-बहुत लिखने-पढ़ने में भी रूची है.
शशि सिंह ( वर्ष-२००५ )
इनका प्रारंभिक ब्लॉग है :
http://shashisingh.in/
परिचय:शशि सिंह की लेखनी ने टेलीविजन पर मायावी दुनिया गढ़ने से लेकर, पत्रकारिता में दुनिया की हकीकत बयां करने और फिर चिट्ठाकारी तक का सफर तय किया है। पत्रकारिता की मुख्यधारा छूट चुकी है लेकिन न तो मीडिया से नाता टूटा है और न ही खुद को पत्रकार कहना छोड़ा है। अब खुद को न्यू मीडिया के खांचे में पाते हैं, संप्रति मुम्बई में एक बहुराष्ट्रीय टेलीकॉम कंपनी में प्रबंधक हैं। यहां उन पर मोबाइल पर वेल्यू एडैड सर्विसेज़ के लिए उपयोगी बॉलीवुड व क्षेत्रीय भाषाओं की सामग्री की पहचान और विकास की जिम्मेदारी है। शशि की कर्मभूमि मुम्बई भले हो लेकिन जड़े झारखंड के कोयला खदानों से होती हुई बिहार में सरयू नदी के तीर तक जाती है। भोजपुरी, नागपुरी व हिंदी के अलावा उन्हें पसंद हैं बच्चे। घर में पत्नी व पुत्र वेदांत के अलावा माता पिता व दो छोटे भाई हैं।
जगदीश भाटिया ( वर्ष-२००५ )
जीतेंद्र चौधरी ( वर्ष-२००४)
इनके प्रारंभिक ब्लॉग है :http://merapanna.blogspot.com/ जिसे बाद में इनके द्वारा
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परिचय:जीतेंद्र चौधरी कुवैत में रहते हैं और लोकप्रिय हिंदी ब्लॉगर हैं। जीतू सॉफ्टवेयर और तकनीकी मार्केटिंग से जुड़े हैं लेकिन उनके 'मेरा पन्ना' ब्लॉग पर कंप्यूटर की तकनीकी जानकारी से लेकर भारत के गांव तक की बातें पढ़ने को मिल जाती है। इसके अलावा जीतू हिंदी चिट्ठों के एग्रीगेटर नारद के संचालक हैं।
अतुल अरोरा (वर्ष-२००४ )
इनका प्रारंभिक ब्लॉग है :http://rojnamcha.aroradirect.com/ जिसे बाद में इनके द्वारा -
http://lifeinahovlane.blogspot.com/ पर स्थानांतरित कर दिया गया ।
परिचय:जन्म: 7 मई 1970¸ कानपुर में। शिक्षा: पीपीएन कॉलेज कानपुर से बीएससी, एचबीटीआई से मास्टर ऑफ कंप्यूटर एप्लिकेशन। कार्यक्षेत्र: फिलाडेल्फिया में एक कंप्यूटर प्रोग्रामर की हैसियत से कार्यरत। सिनेमा¸ भ्रमण एवं फोटोग्राफी में रुचि। शौकिया तौर पर एक ब्लॉग रोजनामचा लिखना शुरू किया¸ जिसमें हल्के–फुल्के विषयों से लेकर राजनीति जैसे गंभीर विषयों पर निजी विचार व्यक्त कर छपास की निजी पीड़ा को बुझाया है। अमेरिका प्रवास में हुए अनुभवों में हास्यमिश्रण कर उन्हें एक छोटी पुस्तक का रूप देने की कोशिश है 'लाइफ इन ए एचओवी लेन' में। इनका हिन्दी चिट्ठा है रोजनामचा जो वर्ष 2004 में इंडीब्लॉगीज़ पुरस्कार से नवाजा़ जा चुका है।
ई-स्वामी (वर्ष-२००४ )
इनका प्रारंभिक ब्लॉग है :http://eswami.blogspot.com/ जिसे बाद में इनके द्वारा -
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परिचय:ई-स्वामी दरअसल इनका छद्मनाम है और इनके चिट्ठे का नाम भी! इन्दौर, मध्यप्रदेश में जन्मे, पले-बढे। कुछ समय दिल्ली में रहे, फ़िर अमरीका में बस गये। सू़चना-विज्ञान में स्नातक और स्नातकोत्तर शिक्षा प्राप्त।
पंकज नरूला (वर्ष-२००४)
इनका प्रारंभिक ब्लॉग है :
http://pnarula.com/
परिचय:मिर्ची सेठ पंकज नरूला की चिट्ठाकारी के प्रति प्रतिबद्धतता का उदाहरण इस बात से भी दिया जा सकता है कि उन्होंने ब्लॉगर पर अपना चिट्ठा प्रारंभ करने के पश्चात जल्दी ही अपनी निजी होस्टिंग की ओर रूख कर लिया। पंकज हिन्दी चिट्ठाजगत से कई अनूठे प्रयासों के प्रणेता रहे हैं, जिनमें चिट्ठाकारों की अपनी चौपाल अक्षरग्राम, सार्वजनिक विकि सर्वज्ञ, ब्लॉग एग्रीगेटर नारद इत्यादि। जब हिन्दी ब्लॉगज़ीन निरंतर की होस्टिंग की बात आई तो पंकज ने सहर्ष इसकी होस्टिंग अपने जालस्थल पर करने का जिम्मा उठाया था। अम्बाला में जन्मे पंकज चंडीगढ़ स्थित पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज से विद्युत अभियांत्रिकि में स्नातक हैं। पिछले कुछ वर्षों से वे सैन होज़े में सैप कंसलटिंग में कार्यरत हैं। ब्लॉग लेखन के ख्यात माध्यम मूवेबल टाईप एवं वर्डप्रैस का हिन्दी में स्थानीयकरण सम्पूर्ण करने के साथ साथ वे हिन्दी से जुड़े तकनीकी मुद्दों पर अपनी राय और भागीदारी देते रहते हैं। पंकज अपने चिट्ठों मिर्ची सेठ औऱ बीटा थॉट्स के ज़रिए अपनी बात कहते हैं। भाषा के सौन्दर्य एवं लेखन विन्यास में रुचि रखने वाले पंकज हिन्दी में अपनी बात करने को माँ से बात करने के समान ही मानते हैं। उनके लेखन का लहज़ा हल्का फुलका और मज़ाहिया होता है और यही बात पाठकों को भाती भी है।
संजय बेंगाणी( वर्ष-२००५ )
इनका प्रारंभिक ब्लॉग है :
www.tarakash.com/joglikhi
परिचय:वर्तमान में ये भारत के अहमादाबाद (कर्णावती) शहर से मीडिया कम्पनी चला रहे हैं , हिन्दी के प्रति मोह राष्ट्रवादी विचारधारा की छाया में पनपा. इन्हें जिस काम में सबसे ज्यादा आनन्द मिलता है वे है अभिकल्पना और वेब-अनुप्रयोगों का हिन्दीकरण. ये रेखाचित्र भी बना लेते हैं और थोड़ा-बहुत लिखने-पढ़ने में भी रूची है.
शशि सिंह ( वर्ष-२००५ )
इनका प्रारंभिक ब्लॉग है :
http://shashisingh.in/
परिचय:शशि सिंह की लेखनी ने टेलीविजन पर मायावी दुनिया गढ़ने से लेकर, पत्रकारिता में दुनिया की हकीकत बयां करने और फिर चिट्ठाकारी तक का सफर तय किया है। पत्रकारिता की मुख्यधारा छूट चुकी है लेकिन न तो मीडिया से नाता टूटा है और न ही खुद को पत्रकार कहना छोड़ा है। अब खुद को न्यू मीडिया के खांचे में पाते हैं, संप्रति मुम्बई में एक बहुराष्ट्रीय टेलीकॉम कंपनी में प्रबंधक हैं। यहां उन पर मोबाइल पर वेल्यू एडैड सर्विसेज़ के लिए उपयोगी बॉलीवुड व क्षेत्रीय भाषाओं की सामग्री की पहचान और विकास की जिम्मेदारी है। शशि की कर्मभूमि मुम्बई भले हो लेकिन जड़े झारखंड के कोयला खदानों से होती हुई बिहार में सरयू नदी के तीर तक जाती है। भोजपुरी, नागपुरी व हिंदी के अलावा उन्हें पसंद हैं बच्चे। घर में पत्नी व पुत्र वेदांत के अलावा माता पिता व दो छोटे भाई हैं।
जगदीश भाटिया ( वर्ष-२००५ )
इनका प्रारंभिक ब्लॉग है :http://aaina.jagdishbhatia.com/
परिचय:दिल्ली के जगदीश भाटिया हिन्दी के पुराने चिट्ठाकारों में शुमार हैं. अपने चिट्ठे आईना में हास्य, विचार, अर्थशास्त्र, समाज और राजनीति पर लिखते हैं.
अर्जुन स्वरूप ( वर्ष-२००५ )
इनके ब्लॉग अस्तित्व में नहीं है, किन्तु प्रोफाईल अस्तित्व में है :http://www.blogger.com/profile/4037548परिचय:अर्जुन स्वरूप रिचमंड, अमरीका स्थित बिज़नेस अनालिस्ट हैं। विविध विषयों पर इंडियन इकानॉमी ब्लॉग जैसे स्थापित मंचों पर नियमित लिखते रहते हैं।
अशोक कुमार पाण्डेय ( वर्ष-२००५ )
इनका प्रारंभिक ब्लॉग है :http://khetibaari.blogspot.com/
परिचय:अशोक कुमार पाण्डेय बिहार के कैमूर जिले में एक कृषक हैं। गांव के विद्यालयों में आरंभिक शिक्षा के बाद उच्च शिक्षा पटना व दिल्ली से पूर्ण की। पहले पत्रकारिता से जुड़े, फिर किसानी से। अपने हिन्दी चिट्ठे खेती बाड़ी में वे गांवों व किसानों से संबंधित विषयों पर लिखते हैं।
रमण कौल ( वर्ष-२००५ )
इनका प्रारंभिक ब्लॉग है :
http://kaulonline.com/uninagari/
परिचय:जन्म: 14 जून 1962 को बांडीपुर, कश्मीर में। शिक्षा: कश्मीर विश्वविद्यालय से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक। जॉन्स हॉफ्किन्स यूनिवर्सिटी, बाल्टीमोर में स्नातकोत्तर छात्र। इंटरनेट पर हिंदी का प्रयोग बढ़ाने के प्रयत्नों में कार्यशील। हिंदी के अतिरिक्त अंग्रेज़ी और मातृभाषा कश्मीरी में चिठ्ठाकारी करते हैं। अपने हिन्दी चिट्ठे 'इधर उधर की' पर विविध विषयों पर लिखते रहते हैं। हिंदी संबंधित विभिन्न चर्चा–समूहों, टीम–ब्लॉग, विकी और बुनो–कहानी जैसे प्रकल्पों में सक्रिय। 'यूनीनागरी' नामक इनके बनाये हिन्दी आनलाईन टाईपराईटर से जाल पर अनेकों ने हिन्दी लिखना सीखा है व सीख रहे हैं। संप्रति मेरीलैंड, अमरीका में रेलवे उपकरण अभिकल्प इंजीनियर।
राकेश खंडेलवाल ( वर्ष-२००५ )
इनका प्रारंभिक ब्लॉग है :http://geetkalash.blogspot.com/
जन्म १८ मई १९५३ को भरतपुर ( राजस्थान ) में हुआ और प्राथमिक शिक्षा भी भरतपुर में ही हुई। इन्हें घर में उपलब्ध कल्याण के सभी पुराण और विशेषांकों से पढ़ने का व्यसन प्रारंभ से ही लग गया था। भरतपुर की हिन्दी साहित्य समिति में उपलब्ध हज़ारों पुस्तकों ने दिशा निर्देशन दिया और लगभग १२-१३ वर्ष की उम्र में इन्होंने पहली कविता लिखी। भरतपुर की हिन्दी साहित्य समिति हर मास के अंतिम शनिवार को एक कवि सम्मेलन का आयोजन करती थी। वहीं से कविता लिखने का शौक बढ़ता चला गया और आज तक जारी है। इनकी "अमावस का चाँद" शीर्षक से एक पुस्तक भी प्रकाशित हुई है।
प्रत्यक्षा सिन्हा ( वर्ष-२००५ )
इनका प्रारंभिक ब्लॉग है :
http://pratyaksha.blogspot.com/
परिचय:जन्म: 26 अक्तूबर 1963 को गया, भारत में। सम्प्रति: प्रबंधक वित्त, पॉवरग्रिड आफ इंडिया लिमिटेड, गुड़गांव में कार्यरत। प्रत्यक्षा ने 2006 में लेखन शुरु कया, अनेक प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में उनकी कहानियाँ प्रकाशित हुई हैं। कहानियों के एक संकलन "जंगल का जादू तिल तिल" को 2007 में भारतीय ज्ञानपीठ ने प्रकाशित किया है।
डॉ जगदीश व्योम ( वर्ष-२००५ )
इनका प्रारंभिक ब्लॉग है :http://www.jagdishvyom.blogspot.com/
परिचय:जन्म: 1 मई 1960, शंभूनगला, फर्रुखाबाद, उ.प्र. शिक्षा: एम.ए.हिंदी साहित्य में, एम.एड., पीएचडी शोधकार्य: लखनऊ विश्वविद्यालय से 'कनउजी लोकगाथाओं का सर्वेक्षण और विश्लेषण' पर। भारत की लगभग सभी पत्र पत्रिकाओं में शोध लेख, कहानी, बालकहानी, हाइकु, नवगीत आदि का अनवरत प्रकाशन। आकाशवाणी दिल्ली, मथुरा, सूरतगढ़, ग्वालियर, लखनऊ, भोपाल आदि केंद्रों से कविता, कहानी, वार्ताओं का प्रसारण। शोधग्रंथ 'कनउजी लोकगाथाओं का सर्वेक्षण और विश्लेषण' के लिए 'प्रकाशिनी हिंदी निधि,कन्नौज' द्वारा सम्मानित। 'नन्हा बलिदानी' बाल उपन्यास के लिए पांच पुरस्कार। संप्रति केंद्रीय विद्यालय एस.पी.एम, होशंगाबाद, म.प्र. में पी.जी.टी. हिंदी पद पर कार्यरत। प्रकाशित कृतियां: काव्य संग्रह:– इंद्रधनुष,भोर के स्वर। शोध ग्रंथ:– कन्नौजी लोकगाथाओं का सर्वेक्षण और विश्लेषण, कन्नौजी लाकोक्ति और मुहावरा कोश। बाल उपन्यास:– नन्हा बलिदानी, डब्बू की डिबिया बाल कहानी संग्रह:– सगुनी का सपना संपादित कहानी संग्रह:– आज़ादी के आस–पास, कहानियों का कुनबा संपादन– हाइकु दर्पण, बाल प्रतिबिंब
अफ़लातून देसाई ( वर्ष-२००६)
इनके प्रमुख ब्लॉग है :http://samatavadi.wordpress.com/
परिचय:वाराणसी निवासी अफ़लातून देसाई समाजवादी जनपरिषद की उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष व लोकप्रिय हिन्दी चिट्ठाकार हैं।
उपरोक्त जिनके प्रारंभिक ब्लॉग में डोमेन का पता उल्लिखित है वे अर्थात पंकज नरूला, शशिसिंह, रमन कौल। सभी ब्लॉगरों ने अपनी शुरुआत blogspot से या wordpress से की। इसके बाद अपने डोमेन पर गये। शशि सिंह ने इंडीब्लॉगीस इनाम भी जीता। साथ ही वर्ष-२००४ में ठेलुहा ब्लॉग भी शुरु हुआ था , जिसका पता है-http://www.theluwa.blogspot.com/
.....अभी जारी है
आपतो ब्लागजगत के नामी इतिहासकार बन गए हैं -बड़ा ही मुश्किल और दुरूह काम कर रहे हैं !
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत आभार ...इन सभी से परिचित कराने का .....।
जवाब देंहटाएंउम्दा और सराहनीय कार्य ब्लोगिंग को निखारने की दिशा में....शानदार ...
जवाब देंहटाएंमेहनत से किया गया उत्कृष्ट संकलन !!
जवाब देंहटाएंप्रशंसनीय कार्य. बधाई
जवाब देंहटाएंवैसे आपने गौरव जी का ब्लॉगजगत में आगमन २००६ लिखा है लेकिन खुद उनका अपना ब्लॉग कह रहा है की उन्होंने अपने ब्लॉग पर पहली पोस्ट अक्तूबर २००७ में लिखी है,
http://merasaman.blogspot.com/2007/10/blog-post.html
और अगर आप क्रम को आगत वर्षानुसार लिख रहे हैं तो इसमें तो उस शख्स का जिक्र ही नहीं है जिसे हिंदी का आदि ब्लागर कहा जाता है. मतलब की आलोक जी
उनका सबसे पहला ब्लॉग यह रहा
http://9211.blogspot.com/
इसके बाद वे यहाँ शिफ्ट हो गए
http://devanaagarii.net/hi/alok/blog/
इतिहास में गलतियाँ दर्ज होने से इतिहास ही गलत हो जाता है,
आशा है अन्यथा नहीं लेंगे.
शेष शुभ
हुत-बहुत धन्यवाद... आज इस सभी से यूं मुलाकात करवाने के लिए... क्योंकि आज तक मैं इनसे नहीं मिली थी...
जवाब देंहटाएंआभार सबसे मिलवाने का…………अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंसंजीत जी,
जवाब देंहटाएंजैसा की आपको विदित है की यह आलेख की चौथी कड़ी है , आप जिस आदि ब्लोगर की बात कर रहे हैं उनसे परिचय पहली कड़ी में ही कराया जा चुका है और यह आलेख अभी लगातार जारी है , यदि संभव हो तो इस आलेख की सारी कड़ियाँ पढ़ें आपका जवाब मिल जाएगा ! जहां तक गौरव सोलंकी का प्रश्न है तो ये याहू की बंद हो गयी सर्विस से भी पूर्व में जुड़े थे, ब्लॉग स्पोट पर ये वर्ष २००७ में आये हैं, यही डा कविता वाचकनवी के साथ भी हुआ है वे भी वर्ष-२००५ से ही ब्लोगिंग में सक्रीय हैं जबकि ब्लॉग स्पोट पर वे भी वर्ष-२००७ में ही आयी हैं, किन्तु उन्हें वर्ष-२००५ से ही माना गया है इस आलेख में ......
http://rp.parikalpnaa.com/2010/10/blog-post_23.html
http://rp.parikalpnaa.com/2010/10/blog-post_26.html
http://rp.parikalpnaa.com/2010/10/blog-post_28.html
बहुत मेहनत का काम है जो आप कर रहे हैं ... शुक्रिया सब के परिचय का ....
जवाब देंहटाएंसभी ब्लोगर बंधुओं से निवेदन है कि इन ब्लोगरों के संबंध में जैसे-जसे जान्कारोयाँ प्राप्त हो रही है उन्हें प्रस्तुत किया जा रहा है, ताकि सही और प्रमाणिक तथ्य सामने आ सके, इसलिए यदि संभव हो तो इस आलेख की अब तक प्रकाशित चारो कड़ियों को जोड़ कर प्रतिक्रया व्यक्त करें जिन चिट्ठाकारों से मैंने चौथी कड़ी में मिलवाया है, उनके नाम के आगे वर्ष अवश्य है किन्तु कोई जरूरी नहीं कि अगली कड़ी में वर्ष-२००३-२००४-२००५ -२००६ के और शेष ब्लोगर न हों ...जैसे-जैसे जानकारियाँ उपलब्ध होती जायेंगी प्रस्तुत किये जाते रहेंगे ! यहाँ यह भी स्पष्ट कर देना चाहता हूँ कि मैं इतिहास नहीं लिख रहा हूँ इतिहास की कड़ियों को जोड़कर एक सार्थक निष्कर्ष पर पहुँचाने का प्रयास कर रहा हूँ , इसलिए जिन्हें भी यह महसूस हो कि इसमें कुछ छुट गया है , वे अपना अमूल्य सुझाव मेल अथवा टिपण्णी के माध्यम से अवश्य दें ताकि इस आलेख को एक सार्थक स्वरुप दिया जा सके !
जवाब देंहटाएंओह मुआफी,
जवाब देंहटाएंपहले वाली कड़ियों में भी आलोक जी का इस तरह उल्लेख नहीं देख पाया मैं..
संभव है गलती मेरी अपनी हो,
इतिहास लिखने वाले को भी कई बार नहीं मालूम होता की जो वह लिख रहा है आगे चलकर उसका उपयोग सन्दर्भ देने के लिए हो सकता है.
बहरहाल शुक्रिया त्वरित उत्तर देने के लिए,
बड़ी मेहनत कर रहे हैं आप। मेरी सलाह मानें तो पीएच डी के लिए आवेदन कर दें, मैटर तो तैयार ही है।
जवाब देंहटाएं---------
मन की गति से चलें...
बूझो मेरे भाई, वृक्ष पहेली आई।
भाई जोगलिखी को न भूलें वह भी 2005 से अब तक कायम है. :)
जवाब देंहटाएंwww.tarakash.com/joglikhi
सभी कड़ियाँ नहीं देखी है. गलती हुई हो तो क्षमा करें.
जवाब देंहटाएंसंजय जी इस आलेख के साथ आपका परिचय भी जोड़ दिया है , उस समय की कोई और सूचना हो तो बेझिझक बताएं !
जवाब देंहटाएंअच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंबड़ा ही मुश्किल और दुरूह काम कर रहे हैं !
जवाब देंहटाएंbahut-bahut aabhaar itihas se roobaroo karane ke liye !
जवाब देंहटाएंबहुत मेहनत से आप इस काम को अंजाम दे आरहे हैं .
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया आपका इतनी जानकारी देने का.
ब्लाग जगत के बेहतरीन कार्यों में से एक, और अत्यंत आवश्यक काम था यह जो आपने शुरू किया है ! आपके बारे में अरविन्द मिश्र का कथन सही लगता है !
जवाब देंहटाएंइस मुश्किल और नीरस काम के लिए हार्दिक शुभकामनायें !
ek ati-sarthak prayas !
जवाब देंहटाएंमुझको मेरे बाद ज़माना ढूडेगा
जवाब देंहटाएंgreat work !
जवाब देंहटाएं.
जवाब देंहटाएंThanks for introducing us with the wonderful bloggers.
.
राकेश खण्डेलवाल: २००५ (http://geetkalash.blogspot.com/)
जवाब देंहटाएंअनूप भार्गव: २००५ (http://anoopbhargava.blogspot.com/)
मानोषी चटर्जी: २००५ (http://manoshichatterjee.blogspot.com/)
-बहुत अच्छी जानकारी दी है आप्ने. उपर कुछ २००५ के लिंक दिये हैं.
अच्छी जानकारी रखते हैं आप. धन्यवाद् . आप सबको दिवाली की शुभ कामनाएं आज आवश्यकता है यह विचार करने की के हम हैं कौन?
जवाब देंहटाएंआभार सबसे मिलवाने का…
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया आपका इतनी जानकारी देने का.
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंलगे रहो मुन्ना भाई,
यह अनोखा गुलदस्ता दिनोंदिन सँग्रहनीय एवँ यादगार होता जा रहा है ।
एक सार्थक प्रयास, श्रंखला के रूप में
जवाब देंहटाएंआजकल आत्मप्रचार का जमाना है
इसलिए
देखिएगा
http://bspabla.blogspot.com/2010/09/5.html
तथा
http://web.archive.org/web/20061104141743/www.blogger.com/profile/13150976
आभार सबसे मिलवाने का
जवाब देंहटाएंhttp://mypoemsmyemotions.blogspot.com/2006/10/doo-pahlu.html
जवाब देंहटाएंsince 2006 in hind bloging
रचना जी,
जवाब देंहटाएंआपके इस ब्लॉग का लिंक पूर्व में http://rp.parikalpnaa.com/2010/10/blog-post_28.html इस आलेख के अंतर्गत दिया जा चुका है, और कोई सूचना हो तो बताएं !
मेरा पहला ब्लाग था naagrik.blogspot.com जिस पर पहली पोस्ट एक मई, २००५ पर लिखी थी. बाद में incitizen.blogspot.com पर लिखना प्रारम्भ किया. गूगल द्वारा मालवेयर पाने पर इसे ब्लाक करने के कारण indzen.blogspot.com पर शिफ्ट कर दिया है. प्रभात जी, मैंने भी आत्म-मुग्ध होकर आत्म-प्रशंसात्मक टिप्पणी कर दी है... एक बेहद अच्छा कार्य हमारे डा०रूपचन्द्र जी शास्त्री "मयंक" ने किया था, ब्लागर्स की डायरेक्टरी बनाने का...
जवाब देंहटाएंसंग्रहनीय, अविस्मरनीय, सराहनीय, प्रशंसनीय जो कही जाए इस प्रस्तुति को देखकर शायद कम हो ....आज शायद लोगों को यह आभास न हो की यह क्या हो रहा है मगर मेरा दावा है की जिसप्रकार हिंदी साहित्य को अलंकृत करते हुए ईतिहास के पन्नों में सुखद पहलूओं को संजोने का महत्वपूर्ण कार्य किया था आचार्य राम चन्द्र शुक्ल ने वाही काम हिंदी ब्लोगिंग के लिए आप कर रहे हैं , इसमें कोई संदेह नहीं !
जवाब देंहटाएंशुक्रिया मनोज जी इस हौसला अफजाई के लिए, साथ हीं समीर जी और भारतीय नागरिक का भी जिन्होनें महत्वपूर्ण जानकारियाँ दी है !
जवाब देंहटाएंअरविन्द जी और सतीश सक्सेना जी, आप दोनों शुभचिंतकों का आत्मिक आभार जो आपने इस कार्य को ब्लॉग जगत के बेहतरीन कार्यों में से एक माना है !
जवाब देंहटाएंआभार व्यक्त कर मुझे शर्मिन्दा न करें प्रभात जी, मैं विल्कुल नया हूँ इस ब्लॉगजगत के लिए मुझे बहुत कुछ सिखाना है आप से , आप ब्लोगिंग में मेरे गुरुतुल्य हैं !
जवाब देंहटाएंआभार व्यक्त कर मुझे शर्मिन्दा न करें प्रभात जी, मैं विल्कुल नया हूँ इस ब्लॉगजगत के लिए मुझे बहुत कुछ सिखाना है आप से , आप ब्लोगिंग में मेरे गुरुतुल्य हैं !
जवाब देंहटाएंमेरा पूरा सहयोग रहेगा इस दिशा में, जब भी कुछ जानकारी अथवा सहयोग चाहिए आप मुझे मेल कभी भी कर सकते हैं मनोज जी !
जवाब देंहटाएंमजेदार है यह सब देखना।
जवाब देंहटाएंआपकी मेहनत कमाल की है। सब कुछ देखना अच्छा लग रहा है।
लेकिन आपकी जानकारियां ड्राफ़्टिया मोड सरीखी हैं। १.जिन ब्लॉगों के नाम आपने लिये उन सभी के प्रारंभिक ब्लॉग उन ब्लॉग से अलग हैं जिनके लिंक यहां दिये गये है।
२. पूर्णिमा वर्मन की साइट शुरू हुये ९ साल हो गये। इस लिहाज से उनकी सक्रियता २००२ से मानी जानी चाहिये http://www.nirantar.org/0505-vishesh
इसके अलावा उनका अपना ब्लॉग भी है।
३.अतानु डे और दीना मेहता हिंदी ब्लॉगर नहीं हैं। वे अंग्रेजी में लिखते हैं।
४.देबाशीष का पहला ब्लॉग http://nuktachini.blogspot.com
जीतेंद्र का प्रारंभिक ब्लॉग http://merapanna.blogspot.com/
अतुल अरोरा का प्रारंभिक ब्लॉग
http://rojnamcha.aroradirect.com/
अनूप शुक्ल का प्रारंभिक ब्लॉग
http://fursatiya.blogspot.com
ई-स्वामी का प्रारंभिक ब्लॉग
http://eswami.blogspot.com/
अन्य ब्लॉग के बारे में यही बात है। पंकज नरूला, शशिसिंह, रमन कौल। सभी ब्लॉगरों ने अपनी शुरुआत blogspot से या wordpress से की। इसके बाद अपने डोमेन पर गये।
शशि सिंह ने इंडीब्लॉगीस इनाम भी जीता।
५. ठेलुहा ब्लॉग भी २००४ मे शुरु हुआ था।
http://www.theluwa.blogspot.com/
और बहुत सारी जानकारियां हैं जिनको या तो शामिल होना चाहिये या आपको सही करना चाहिये। बहुत सुधार की संभावनायें हैं। मैंने आपको जो लिंक दिये हैं उनको अगर आप देखेंगे तो काफ़ी कुछ मिलेगा जिससे आप अपनी जानकारी दुरुस्त कर सकेंगे।
आपकी मेहनत की तारीफ़ करते हुये यह भी कहना चाहूंगा कि इनको पेश करने के पहले क्रमानुसार इनके बारे में जांच कर लें तो बेहतर होगा।
श्रद्धेय अनूप जी,
जवाब देंहटाएंआपके निर्देशानुसार समस्त तथ्यों को आलेख से जोड़ दिया गया है , आभारी हूँ मैं आपके इस स्नेहिल सुझाव के लिए , आशा है आगे भी आप अपना बहुमूल्य सहयोग-संपर्क बनाए रखेंगे ...आपका पुन: आभार !