बडे ढोल म पोल बड़ी , यही मुकद्दस बात !
नीरव की यह "वाटिका " देती है सन्देश !
अनवरत साहित्य बढे , प्रगति करे यह देश !!
अनवरत साहित्य बढे , प्रगति करे यह देश !!
"घुघूती बासूती" को, " कथाकार" की राय !
उत्तरोत्तर सोपान पे , नया साल ले जा य !!
" आलोक पुराणिक " बोले, " नीरज " जी को छोड़ !
चिट्ठा- चिट्ठा घूम के , लगा रहे हो होड़ !!
" अनूप शुक्ल " श्रधेय हैं, करते नहीं" भदेस" !
सबको देते स्नेह से , शांति- सुख- सन्देश !!
अपना चिंतन बांचिये , देकर सबको प्यार !
सदीच्छा से भरा रहे, यह सुन्दर संसार !!
कुछ चिट्ठे नाराज हैं, अंकित नही है नाम !
खास-खास को छोड़ के , जोड़े हो क्यूं आम ? ?
भाई मेरे यह सोचो, कुछ तो हुआ कमाल !
पढा है जिसको मैंने , पूछा उसका हाल !!
पढा है जिसको मैंने , पूछा उसका हाल !!
बस इतनी सी बात है , ना समझे तो ठीक!
समझदार तो सबहीं हैं,समझ गए तो ठीक
() रवीन्द्र प्रभात
बहुत खूब !!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर....
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंअथक परिक्रमा जारी रखिये ना।
जवाब देंहटाएंबस इतनी सी बात है , ना समझे तो ठीक!
समझदार तो सबहीं हैं,समझ गए तो ठीक
बहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंठीक भी है, जिसे पढ़ा है उसीके बारे में राय व्यक्त की जा सकती है। इसमें कोई बुराई नहीं है।
अच्छा लगा।
क्या खूब अन्दाज़ है।
जवाब देंहटाएंअच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंसमझदार तो सबहीं हैं,समझ गए तो ठीक
जवाब देंहटाएंbahut hee jaanadaar hai prastuti
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंबस इतनी सी बात है , ना समझे तो ठीक!
जवाब देंहटाएंसमझदार तो सबहीं हैं,समझ गए तो ठीक
-समझ गये :)
बढ़िया अंदाज है ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छा लिखा है मैं तो नया हूँ मेरा तो सबसे परिचय नहीं है.
जवाब देंहटाएंहमारे अंदर भी ये गुण आ जाये तो मजा आये.
http://rajkibatein.blogspot.com/
पढ़ के देखिये
बढ़िया अंदाज!
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