वर्ष -२००७ में चिट्ठाजगत की गतिविधियों पर , हमारा यह काव्य विश्लेषण परिकल्पना पर पहली बार प्रकाशित हुआ था । यह पहल अनायास ही मेरे द्वारा की गयी । इस विश्लेषण के पीछे किसी भी प्रकार का पूर्वाग्रह अथवा दुराग्रह नही था ,बल्कि केवल मनोरंजन के उद्देश्य से प्रकाशित किया गया था,किन्तु इस विश्लेषण को हिंदी ब्लॉगजगत ने काफी गंभीरता से लिया । फलत: वर्ष-२००८ और वर्ष-२००९ में मुझे वृहद् विश्लेषण के दौर से गुजरना पडा ....!


ब्लॉग परिक्रमा की शुरुआत मैं वर्ष-२००७ की उसी चर्चा से करने जा रहा हूँ, ताकि आप भी उस विश्लेषण से वाकिफ हो सकें ।

() रवीन्द्र प्रभात



विश्लेषण-२००७


कुछ खट्टा - कुछ मीठा है ,
ब्लॉगजगत का हाल !
आओ तुम्हें सुनाएँ ,कैसे बीता साल !!


कहीं राड़- तकरार था , कहीं प्यार - इजहार !
तोल-मोल में व्यस्त थे , हिन्दी -चिट्ठाकार !!


खूब लुटाये "ज्ञान" ने , ज्ञान का अक्षय कोष !
और "सारथी" ने किये , हिन्दी का जयघोष !!


कहीं हास व व्यंग्य है , कहीं तकनिकी ज्ञान !
ब्लोगर के घर हो रहे , नित्य नया संधान !!


ब्लॉगजगत में "तश्तरी"बनकर के अपबाद !
घूम रहे हैं आजकल , भारत में निर्बाध !!"

चिट्ठा "
नए कलेवर में , यत्र-तत्र- सर्वत्र !
"अलोक" ढूँढते रह गए , हिन्दी मापक यंत्र !!


कांव- कांव "काकेश " के , कभी न माने हार !
नए शोध में व्यस्त हैं , अपने " अमर कुमार "!!


अजब यहाँ संयोग है , शब्द- शब्द में प्यार !
"महावीर " की साधना , "ममता" का श्रृंगार !!


कहीं "अनिता" दर्शन में , कहीं "साध्वी '' संग !
"मीनाक्षी" ने मिला दिए , चिंतन में हीं भंग !!


मोती को खंगाल के , फेंक रहे हैं सीप !
बाँट रहे हैं रोशनी , " दीपक भारतदीप " !!


"रवि रतलामी "
ने मियाँ , खूब जमाये रंग !
शब्द-शब्द साहित्य में , सम्मानों के संग !!


"परमजीत"
की जीत हुई , फिर से आये
"राज"
फिल्म समीक्षा कर-करके , व्यस्त हुए "दिव्याभ"!!


संवेदन - संसार में , हास बना हथियार !
लगा रहा " ठहाका "है , मुम्बई वाला यार !!


क्रमश: ....अभी जारी है
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