......गतांक से आगे

“यूँ न रह-रह के हमें तरसायिये, आईये, आ जाईये , आजायिये ,फ़िर वही दानिश्ता ठोकर खाईये, फ़िर मेरे आगोश में गिर जाईये,मेरी दुनिया मुन्तजिर है आपकी , अपनी दुनिया छोड़ कर आजायिये…।!”

यही ग़ज़ल है , जिसे हम गुनगुनाते हुए आज की चर्चा की शुरूआत करने जा रहे हैं, जीवन के कोलाहल से दूर ग़ज़लों की दुनिया में समा जाने को विवश करता रहा वर्ष-२००८ में एक ब्लॉग सुखनसाज़ । सुखनसाज़ का पन्ना खुलते ही खिलने लगती थी मेहदी हसन की जादूई आवाज़ । वह आवाज़ जिसे सुनने के लिए बेचैन रहते हैं मेरे आपके कान। वर्ष-२००८ में मैं जाब भी इस ब्लॉग पर आया मेरे होठों से अपने-आप फूट पड़ते थे ये शब्द- माशाल्लाह !……क्या ब्लॉग है …।


इस ब्लॉग पर अहमद फ़राज़ से लेकर बेगम अख्तर तक की दुनिया आबाद है । मैं तो यही कहूंगा कि यदि आप अभी तक न आए हों तो इस ब्लॉग पर एक बार आईये, आ जाईये, आजायिये…।वैसे तो बहुत सारे ब्लॉग हैं जहाँ पहुँच कर आप ग़ज़ल गुनगुनाने को बेताब हो जायेंगे, हमारे इस आलेख की अपनी एक सीमा है और उसी सीमा में आबद्ध होकर हमें अपनी बात कहनी है , वर्ष के सारे सक्रिय चिट्ठों की चर्चा तो नही कर सकता मगर कुछ ब्लॉग जो उस वर्ष अपनी सार्थक गतिविधियों के कारण पाठकों को आकर्षित करने में सफल रहा उसकी चर्चा न करुँ तो बेंमानी होगा ।


इसी प्रकार इस वर्ष गजलों मुक्तकों और कविताओं का एक नायाब गुलदश्ता मुझे दिखा वह था महक , जो अपनी महक से वातावरण को काव्यमय बनाने की दिशा में लगातार सक्रिय भूमिका अदा करता रहा । यहाँ आपको ग़ज़लों के स्वर सुनाई नही देंगे , मगर स्वरचित मुक्तकों, ग़ज़लों , कविताओं तथा विचारों की भावात्मक अनुभूति जरूर महसूस करेंगे, यह मेरा विश्वास है ।इस ब्लॉग पर प्रकाशित एक ग़ज़ल के कुछ शेर पढिये और कहिये कैसा महसूस किया आपने-“यूही किसी को सताना कभी अच्छा होता है , प्यार में खुद तड़पना कभी अच्छा होता है रिश्तों की नज़दिकोया बनाए रखने के लिए ,दूरियों का उन में आना कभी अच्छा होता है ”


ग़ज़लों एक और गुलदश्ता है अर्श , जिसकी पञ्च लाईन है “ जिंदगी मेरे घर आना जिंदगी “ अच्छी अभिव्यक्ति और सुंदर प्रस्तुति के साथ अपनी ग़ज़लों से ह्रदय के पोर-पोर बेधने में ये पूरे वर्ष भर कामयाब रहे इनकी ग़ज़लों के एक-दो शेर देखें- “ अब रोशनी कहाँ है मेरे हिस्से, लव भी जदा-जदा है मेरे हिस्से , गर संभल सका तो चल लूंगा – पर रास्ता कहाँ है मेरे हिस्से ....!” इस ब्लॉग को मेरी ढेरों शुभकामनाएं !

इस तरह के ब्लॉग की लंबी फेहरीश्त है हिन्दी चिट्ठाजगत पर, सबकी चर्चा करना संभव नही । फ़िर भी जिस ब्लॉग ने मुझे ज्यादा प्रभावित किया उसकी चर्चा के बिना आगे बढ़ पाना भी मेरे लिये संभव नही है । चलिए इसी श्रेणी के कुछ और उम्दा ब्लॉग पर नज़र डालते हैं जो वर्ष-२००८ में सर्वाधिक सक्रिय रहे -


ब्लॉग की इस महफ़िल में अनेक सुखनवर हैं, कोई राही है तो कोई रहवर है….आईये ऐसे हे इक ब्लॉग से आपका तारूफ करवाता हूँ , नाम है युगविमर्श । बहुत सारे सुखनवर मिलेंगे आपको इस ब्लॉग पर ।

दूसरा ब्लॉग है अरूणाकाश, गाजिआबाद की अरुणा राय की एक-दो पंक्तियाँ देखिये और पूछिए अपने दिल से की तुम इतने प्यारे क्यों हो ? अरुणा ख़ुद कहती है, की –“ प्यार करने का खूबां हम पर रखते हैं गुनाह उनसे भी तो पूछिए , तुम इतने प्यारे क्यों हुए….!” यह ब्लॉग भावनाओं की धरातल पर उपजी हर उस ग़ज़ल से रूबरू कराती है , जो इस ब्लॉग की सबसे बड़ी विशेषता रही , मगर अफशोश यह ब्लॉग किन्ही कारणों से आज हिन्दी चिट्ठाजगत में अक्तूबर -२००८ के बाद अस्तित्व में नही है । कुछ मजबूरियां रही होंगी ...... !


एक और ब्लॉग है महाकाव्य । तलत महमूद को पसंद कराने वाले कर्णाटक के ब्लोगर महेन मेहता का यह ब्लॉग शब्दों में महाकाव्य ढूँढता नज़र आता है । इस ब्लॉग का सम्मोहन स्पष्ट रूप से महसूस किया जा सकता है। एक क्लिक कीजिये और डूब जाईये ग़ज़लों की दुनिया में । आपको मिलेंगे यहाँ फरीदा खानम और बेगम अख्तर की आवाज़ का जादू , वहीं दुनिया की दूसरी भाषाओं से जुड़े आवाज़ के जादूगर । कातिल शिफाई की ग़ज़ल को सुनते हुए कोई भी व्यक्ति भीतर तक स्पंदित हो सकता है । अगर अब तक न आए हों तो इस ब्लॉग पर एक बार अवश्य पधारें , मुझे यकीन है फ़िर आप इसी के होकर रह जायेंगे – चलो अच्छा हुआ काम आगई दीवानगी अपनी , बरना हम जमाने भर को समझाने कहाँ जाते ……।

यदि आप शेरो- शायरी के शौकीन हैं तो कोलकाता के अपने इस मीत से मिलना मत भूलिए , ये आपको अपने शेर से केवल गुदगुदाएँगे ही नही , वल्कि दीवानगी की हद तक भी ले जायेंगे । एक बार जाकर तो देखिये इस ब्लॉग पर फ़िर आप कहेंगे यार प्रभात ! तुमने तो मुझे दीवाना बना दिया । मेरा मानना है कि-


"किसी दरिया , किसी मझदार से नफरत नहीं करता , सही तैराक हो तो धार से नफरत नहीं करता ,यक़ीनन शायरी की इल्म जिसके पास होती वह -किसी नुक्कड़ , किसी किरदार से नफरत नहीं करता।"

"आज लहू का कतरा कतरा स्याई बना है,और ये जख्मी दिल ही खत की लिखाई बना है. " ये पंक्तियाँ हैं सीमा गुप्ता की , जिनका ब्लॉग है "MY PASSION" सीमा अपनी अभिव्यक्ति को ग़ज़ल में पिरोती हुयी कहती हैं कि -"चांदनी कहाँ मिलती है, वो भी अंधेरों मे समाई है, रोशनी के लिए हमने ख़ुद अपनी ही ऑंखें जलाई हैं।"


इसी श्रेणी के एक और महत्वपूर्ण ब्लॉग है - "कुछ मेरी कलम से " इस ब्लॉग के ब्लोगर के द्वारा जिस पञ्च लाइन का उल्लेख किया गया है वह इस प्रकार है- "जब करनी होती ख़ुद से बाते तो में कुछ लफ्ज़ यूँ दिल के कह लेती हूँ ....!" रंजना यानी रंजू भाटिया कहती हैं , कि -"ज़रा थम थम के रफ़्ता रफ़्ता चल ज़िंदगी कि यह समा या फ़िज़ा बदल ना जाएअभी तो आई है मेरे दर पर ख़ुशी कही यह तेरी तेज़ रफ़्तार से डर ना जाए!


दूसरा ब्लॉग है -"पारुल…चाँद पुखराज का" इस ब्लॉग पर अभिव्यक्तियाँ अंगराई लेती है और छोड़ जाती है संवेदनाओं का नया प्रभामंडल पाठकों के लिए , ब्लोगर ने अपने परिचय में गुलजार की ये सुंदर पंक्तियाँ प्रस्तुत की है -"कुछ भी क़ायम नही है,कुछ भी नही…रात दिन गिर रहे हैं चौसर पर…औंधी-सीधी-सी कौड़ियों की तरह…हाथ लगते हैं माह-ओ साल मगर …उँगलियों से फिसलते रहते है…धूप-छाँव की दौड़ है सारी……कुछ भी क़ायम नही है,कुछ भी नही………………और जो क़ायम है,बस इक मैं हूँ………मै जो पल पल बदलता रहता हूँ !"


इसी श्रेणी का एक और ब्लॉग पर मेरी नज़रें गयी और ठहर गयी अनायास ही , फ़िर तो उसकी चरचा के लिए मन बेताब हो उठा । नाम है "डॉ. चन्द्रकुमार जैन " जी हाँ यही ब्लॉग है और यही ब्लोगर भी । मुक्तकों और ग़ज़लों का एक ऐसा ब्लॉग जिसे बड़े प्यार और मनुहार से प्रस्तुत किया गया है । इस श्रेणी की मेरी सबसे पसंदीदा ब्लॉग है यह । इनकी ग़ज़ल की कुछ पंक्तियाँ देखिये - "हर सुमन में सुरभि का वास नहीं होता,हर दीपक का मनहर प्रकाश नहीं होता। हर किसी को प्राण अर्पित किए जा सकते नहीं,हर जीवन में मुस्काता मधुमास नहीं होता।।"


आईये एक और ब्लॉग से आपका परिचय करवाता हूँ , नाम है -"क्षणिकाएं " , ब्लोगर कहती हैं , कि -"मन की कलम, ख़्वाबों के पन्ने ,उम्मीदों की स्याही , समय मेरे पास रख जाता है, तब मैं लिखती हूँ ..... !"


कोलकाता के मीत की चरचा हो और और दिल्ली के दिलवाले मीत की चरचा न हो ऐसा कैसे हो सकता है , तो आईये दिल्ली के मीत से मिलते हैं । ब्लोगर कहते हैं- "बचपन मामा के यहाँ गुज़ारा... बड़ा होकर पायलेट बनना चाहता था... लेकिन नसीब में शायद आसमान की ऊँचाइयाँ नहीं लिखी थी... जब भी किसी प्लेन की आवाज कानो में गूंजती तुंरत दौड़ के बाहर जाता था... प्लेन को देखने के लिए... खैर! कब मुझे लिखने का शौक हुआ मालूम नहीं... बस जब भी कभी हाथ में पेंसिल आ जाती थी, तो कागज पे चित्रकारी करता था और जब पेन आ जाता था, तो लिख देता था कोई गीत...!"

मेरे पसंदीदा शायर ब्लोगर में से एक हैं " परम जीत बाली " जिनका ब्लॉग है "दिशाएँ " । जब भी मौका मिलता है इस ब्लॉग पर आ जाता हूँ , क्योकि इस ब्लॉग पर मिलता अभिव्यक्ति के सृजन का सुख ।

दूसरा मेरा पसंदीदा ब्लॉग है इस श्रेणी का वह है -"प्रहार " । इस ब्लॉग पर भी आपको ग़ज़ल की सुंदर भावाभिव्यक्तियाँ मिलेंगी , पूरी शान्ति, सुख, संतुष्टि की गारंटी के साथ।

ग़ज़लों की इस दुनिया में एक और नाम है डा अनुराग , जिनका ब्लॉग है "दिल की बात '' बड़े सहज ढंग से ये अपनी अभिव्यक्तियों में धार देते हुए मासूम अदाओं के साथ परोस देते हैं पाठकों के। यही इस ब्लोगर की विशेषता है । अपने ब्लॉग पर ब्लोगर स्वीकार करता है, कि -"रोज़ कई ख़्याल दिल की दहलीज़ से गुज़रते है,कुछ आस पास बिखरे रहते है,कुछ दिल की तहो मे भीतर तक ज़िंदा रहते है,साँस लेते रहते है,कोई ख़ूबसूरत लम्हा फिर उन्हे कई दिनों की ऑक्सीजन दे जाता है। कभी-कभी उन लम्हो को जिलाये रखने के लिए धूप दिखा देता हूँ,कुछ को लफ़्ज़ो की शक़ल मे कागज़ॉ पर उतार देता हूँ। "

श्री पंकज सुबीर जी सुबीर संवाद सेवा में पाठकों को इस वर्ष लगातार ग़ज़ल सिखाते नज़र आये , ग़ज़ल के विभिन्न पहलूओं पर उनका पक्ष नि:संदेह प्रशंसनीय है । इसी कड़ी में हिंद युग्म भी पीछे नही है । ग़ज़ल के लिए इससे वेहतर पहल और क्या हो सकती है ।


मैंने अपने एक आलेख में जनवरी -२००८ में परिकल्पना पर ग़ज़ल की विकास-यात्रा शीर्षक से ग़ज़ल के इतिहास और वर्त्तमान पर प्राकाश डाला है, जिसे आप यहाँ पढ़ सकते हैं ।


हिन्दी का एक और वेहद महत्वपूर्ण ब्लॉग है
“ रचनाकार “। यह वरिष्ठ चिट्ठाकार और सृजन शिल्पी श्री रवि रतलामी जी का ब्लॉग है , यह केवल ब्लॉग नही साहित्य का चलता- फिरता इन्सायिक्लोपिदिया है ,जिसके अंतर्गत ये कोशिश होती है की आज के प्रतिष्ठित कवियों , गज़लकारों के साथ-साथ नवोदित कवियों,गज़लकारों की कविताओं और ग़ज़लों को नया आयाम देते हुए उन्हें इस ब्लॉग के माध्यम से पाठकों से रू-ब -रू कराया जाए । यह ब्लॉग मैं नियमित पढ़ता हूँ और मेरा यह मानना है की इसे उन सभी को पढ़ना चाहिए जो सृजन से जुड़े हैं ।



इसी
प्रकार
“ अभिव्यक्ति “ और “साहित्यकुंज” भी अनेक गज़लकारों और कवियों का रैन वसेरा बना रहा पूरे वर्ष भर । ये दोनों पत्रिकाएं एक प्रकार से साहित्य का संबाहक है और साहित्यिक गतिविधियों को प्राण वायु देते हुए हिन्दी की सेवा में पूरी जागरूकता के साथ सक्रिय है । इन दोनों पत्रिकाओं को मेरी कोटीश: शुभकामनाएं …दुष्यंत कुमार की इन पंक्तियों के साथ कि “……हो कहीं भी आग फ़िर भी आग जलानी चाहिए …।”


इसी दिशा में एक लघु, किंतु महत्वपूर्ण पहल किया है भाई नीरव ने अपनी ब्लॉग पत्रिका “वाटिका “ और "गवाक्ष " के माध्यम से । यह ब्लॉग भी साहित्य की विभिन्न विधाओं में प्रकाशित सुंदर और सारगर्भित लेखन का नायाब गुलदस्ता है , विल्कुल उसी तरह जैसे देखन में छोटन लगे घाव करे गंभीर ।

वर्ष-२००७ में नेट पर एक और साहित्यिक पत्रिका “ सृजनगाथा “ पर भी मेरी नज़र गयी और उसमें अपनी ग़ज़ल देखाकर मैं चौंक गया एकबारगी । इन्होने देश के महत्वोपूर्ण गज़लकारों की ग़ज़लों का संकलन प्रकाशित था जो कई दृष्टि से वेहद महत्वपूर्ण था । तब से मैं इस पत्रिका का नियमित पाठक हूँ ।


सुबीर संवाद सेवा , हिन्दी युग्म, रचनाकार, अभिव्यक्ति, साहित्यकुंज और सृजनगाथा साहित्य को नयी दिशा देने हेतु सतत क्रियाशील ब्लॉग की श्रेणी में अत्यन्त महत्वपूर्ण है। इन्हे यदि हिन्दी ब्लॉग साहित्य का सप्त ऋषि कहा जाए तो न अतिशयोक्ति होनी चाहिए और न शक की गुंजायश ही। इन सातों ब्लॉग पत्रिकाओं को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं इन पंक्तियों के साथ , कि -“….इस शहर में इक नाहर की बात हो, फ़िर वही पिछले पहर की बात हो , ये रात सन्नाटा बुनेगी इसलिए, कुछ सुबह कुछ दोपहर की बात हो ……।!”

कुछ और महत्वपूर्ण ब्लॉग है , जिस पर वर्ष -२००८ में यदा- कदा गंभीर गज़लें देखने को मिली , उन में से महत्वपूर्ण है “ उड़न तश्तरी “ जिस पर इस दौरान उम्दा गज़लें पढ़ने को मिली है। एक बानगी देखिये-"चाँद गर रुसवा हो जाये तो फिर क्या होगा, रात थक कर सो जाये तो फिर क्या होगा।यूँ मैं लबों पर, मुस्कान लिए फिरता हूँआँख ही मेरी रो जाये तो फिर क्या होगा. "


कुछ और ब्लॉग पर अच्छी ग़ज़लों का दस्तक देखिये और कहिये - ……वाह जनाब वाह...क्या शेर है…क्या ग़ज़ल है……!

ये ब्लॉग हैं " महावीर" " नीरज " "विचारों की जमीं" "सफर " " इक शायर अंजाना सा…" "भावनायें... " आदि ।

ग़ज़ल की चर्चा को यहीं विराम देते हैं और चलते हैं हास्य की दुनिया में , जहाँ हमारी प्रतीक्षा में खड़े हैं कई ब्लोगर , सराबोर कराने के लिए हास्य से हमारे दामन को । हास्य पर हम करेंगे चर्चा विस्तार से , लेकिन अगले पोस्ट में ……….!


.........अभी जारी है…....../

3 टिप्पणियाँ:

  1. सुन्दर चर्चा ..अगली पोस्ट का इंतज़ार है.

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  2. सटीक आलेख
    सार्थक ब्लागिंग का ज़िक्र ज़रूरी है

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  3. बेहद सुन्दर जानकारी , मेरे ब्लॉग को इस महत्वपूर्ण मंच पर स्थान देने के लिए आभारी हूँ.
    regards

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