......गतांक से आगे ....

वर्ष-२००८ में मैं कुछ ऐसे ब्लोग्स से रूबरू हुआ जिनमें विचारों की दृढ़ता स्पष्ट दिखाई दे रही थी । मुझे उन चिट्ठों की सबसे ख़ास बात जो समझ में आयी वह है पूरी साफगोई के साथ अपनी बात रखने की कला । ब्लॉग चाहे छोटा हो अथवा बड़ा , किसी भी पोस्ट ने मेरे मन-मस्तिस्क को झकझोरा, उसकी चर्चा आज मैं करने जा रहा हूँ -

आज सबसे पहले हम चर्चा करेंगे विचारों की दृढ़ता को वयां करता एक ब्लॉग
“समतावादी जन परिषद्का । इस ब्लॉग पर इस वर्ष कनाडा के माडवार्लो का एक लेख प्रकाशित हुआ । वार्लो कनाडा में पानी के निजीकरण के ख़िलाफ़ आन्दोलन चलाती है। उस आलेख में यह उल्लेख है की वर्ष- २०२५ में विश्व की आवादी आज से २.६ अरब अधिक हो जायेगी । इस आवादी के दो-तिहाई लोगों के समक्ष पानी का गंभीर संकट होगा तथा एक-तिहाई के समक्ष पूर्ण अभाव की स्थिति होगी । इस ब्लॉग की सबसे बड़ी विशेषता यह है ,कि वर्ष-२००८ में यह ब्लॉग विचारों और पूर्वानुमान की सार्थकता को आयामित करता रहा । वैसे यह ब्लॉग समतावादी जन परिषद् भारत के चुनाव आयोग में पंजीकृत है और इसमें आम-जन की आवाज़ स्पष्ट परिलक्षित होता है। जिन्हें राजनीतिक विचारधारा से कुछ भी लेना देना नही है, वे भी इस ब्लॉग से मिली जानकारियों का मजा ले सकते हैं ।ब्लॉग अपने हर आलेख में जीवन का कर्कश उद्घोष करता दिखाई देता है , वह भी पूरी निर्भीकता के साथ । यही इस ब्लॉग की विशेषता है ।

दूसरा ब्लॉग जिसकी चर्चा मैं आज करने जा रहा हूँ , वह है –
“ इंडियन बाईस्कोप डॉट कॉम “ ब्लोगर दिनेश का बाईस्कोप देखिये और महसूस कीजिये हिन्दी सिनेमा की सुनहरी स्मृतियाँ ! सिनेमा के शूक्ष्म पहलुओं से रू-ब-रू कराता है यह ब्लॉग। ब्लोगर दिनेश का कहना है, की –“ सिनेमा के प्रति सबसे पहले अनुराग कब जन्मा , नही कह सकता , पर जितनी स्मृतियाँ वास्तविक जीवन की है , उतनी ही सिनेमाई छवियों की भी है । बरेली के दिनेश बेंगलूरू में काम करते बक्त भी इस ब्लॉग के माध्यम से अपने शहर, समाज और सिनेमा के रिश्तों में गूंथे हैं। "

दिनेश अपने एक लेख में यह लिखते हैं, की “ कई बार मन में यह सवाल कौंधता है की भीतर और बाहर की अराजकता को एक सिस्टम दे सकूं , एक दिशा दे सकूं- वह कौन सा रास्ता है . मन ही मन बुद्ध से लेकर चग्वेरा तक को खंगाल डालता हूँ ……!”

सबसे बड़ी बात है इस ब्लॉग की पठनीयता और संप्रेशानियता जो इस ब्लॉग को एक अलग मुकाम देती है । सिनेमाई वार्तालाप के क्रम में ब्लोगर की आंचलिक छवि और संस्मरण की छौंक उत्कृष्टता का एहसास कराती है। निष्पक्ष और दृढ़ता के साथ अपनी सुंदर प्रस्तुति और अच्छी तस्वीरों के माध्यम से यह ब्लॉग पाठकों से आँख- मिचौली करता दिखाई देता है।

वर्ष-२००८ में एक अत्यन्त महत्वपूर्ण ब्लॉग से मैं मुखातिब हुआ । भीखू महात्रे, मुम्बई का किंग अर्थात
मनोज बाजपेयी भी पधार चुके हैं ब्लॉग की दुनिया में । मनोज बाजपेयी के बारे में मैं क्या कहूं आप से , इस प्रयोगधर्मी अभिनेता को कौन नही जानता , पूरा विश्व जानता है ।

मनोज ने अपने ब्लॉग पर जो भी आलेख लिखे हैं , वह जीवन का कड़वा सच दिखाई देता है। मनोज अपने बारे में लिखते हैं, की “ मुझे याद है एक नाटक- जो मैंने कई साल पहले दिल्ली रंगमंच पर किया था . इसमें मैं अकेला अभिनेता था . इस नाटक में मैं इक रिटायर्ड स्टेशन मास्टर की भुमिका की थी , जो अपने बेटे और बहू द्वारा प्रताडितहै ….!” ऐसे बहुत सारे अविस्मरनीय क्षण महसूस कराने को मिलेंगे आपको इस ब्लॉग पर ।

मनोज ने अपने पहले ही आलेख में बड़ी दिल चस्प संस्मरण सुनाते हैं की कैसे बिहार के सीमावर्ती क्षेत्र के रहने वाले एक अभिनेता के घर पहली बार टेप आया। मनोज कहते हैं, की बाबूजी बीर गंज से पानासोनिक का टेप रिकॉर्डर ले आए थे । ब्लोगर कहते हैं की बिहार के कई लोगों के घर टेप रिकॉर्डर नेपाल के बीरगंज से ही आया। इस संस्मरण को जब मनोज सुनाते हैं तो जिस्म में अजीब सी सिहरन महसूस होती है।

और भी कई मार्मिक और दिलचस्प संस्मरण आपको पढ़ने को मिलेंगे इस ब्लॉग पर। बस एक वार क्लिक कीजिये और चले जाईये मनोज के संग विचारों और संस्मरणों की दुनिया में।


आज की इस चर्चा में जिस चौथे ब्लॉग की मैं चर्चा करने जा रहा हूँ , वह है
-“ कबाड़खाना “
किसी विचारक ने कहा है, कि जो बस्तुओं के पीछे भागता है, वह अकेला होता है और जो व्यक्तियों के पीछे भागता है उसके साथ पूरी दुनिया होती है.इस बात को जब हम महसूस करना छोड़ देते है , वही से कबाड़वाद पृष्ठभूमि बनने लगती है. बस इसी को महसूस कराता हुआ यह ब्लॉग है कबाड़खाना ।

अशोक पांडे का यह ब्लॉग भारत का आम उपभोक्ता को आईना दिखाने का काम करता है और यही ब्लॉग की सबसे बड़ी विशेषता है। प्रकृति को उत्पादन और उपभोग की मार से बचाने का माध्यम है यह कबाड़खाना ।

रवीश कुमार इस ब्लॉग के बारे में कहते हैं, कि –“ पेप्पोर रद्दी पेप्पोर चिल्लाते- चिल्लाते अशोक पांडे का यह ब्लॉग कबाड़वाद फैला रहा है। इस ब्लॉग पर जो भी आता है , उसका कबाड़ीवाला कहकर स्वागत किया जाता है। विरेन डंगवाल हों या उदय प्रकाश, ये सब कबाड़ीवाले हैं। “ इस कबाड़ में आपको मिलेंगे रागयमन में गंगा स्तुति सुनाते हुए पंडित छन्नू लाल मिश्रा , वहीं बेरोजगारी पर कविता लिखते सुंदर चंद ठाकुर ……और भी बहुत कुछ …आईये और देखिये इस कबाड़ में आपके लायक क्या है ?
मेरा दावा है, की आप जो चाहेंगे मिलेगा इस कबाड़खाने में ।

अब हम जिस ब्लॉग की चर्चा करने जा रहे हैं उसका नाम है
“ प्राइमरी का मास्टर “ जी हाँ मास्टर साहब हैं उत्तर प्रदेश के फतेहपुर के प्रवीण त्रिवेदी , जो अपने ब्लॉग के बारे में बड़े हीं साफ़ ढंग से कहते हैं , कि- “प्राईमरी स्कूल में कार्य कर रहे अध्यापकों से जुडी समस्यायों और छवियों को लेकर अंतर्द्वंद का ही परिणाम है मेरा यह ब्लॉग…!”

हमारी शिक्षा व्यवस्था की नींब और हमारे व्यापक सामाजिक सरोकारों को नया आयाम देने हेतु सुदृढ़ आधार रहा है प्राईमरी स्कूल । बस इसी बात को प्रमाणित करने की वेचैनी दिखती है उत्तर प्रदेश के इस छोटे से शहर के इस ब्लोगर में। शिक्षा के विभिन्न आयामों से गुजरते हुए यह ब्लॉग कभी- कभी सार्थक वहस को भी जन्म देता दिखाई देता है। प्रवीण कहते हैं, कि प्राईमरी के मास्टर की सबसे बड़ी समस्या है वह ख़ुद को अपडेट नही रख पाता , वहीं जनमानस को चाहिए की प्राईमरी मास्टर के प्रति अपने पूर्वाग्रहों को अपने मन से हटा दें…।

प्राईमरी का यह मास्टर अपने ब्लॉग पर अनेक दिलचस्प बातें करता हुआ दिखाई देता है , जैसे एक जगह प्रवीण कहते हैं ,कि कई स्कूल मिलकर अपने शिक्षकों का भी मूल्यांकन करें … ।

यह ब्लॉग वर्ष-२००८ में लगातार पोस्ट-दर-पोस्ट मुखर होता गया और इसके पाठक वहस- दर- वहस इस ब्लॉग का हिस्सा बनते चले गए ।

कमोवेश इसी पृष्ठभूमि का परिस्कृत रूप है एक ब्लॉग , जिसका नाम है- “एक हिंदुस्तानी की डायरी“

उस ब्लॉग पर जहाँ एक शिक्षक की वेचैनी परिलक्षित होती है, वहीं इस ब्लॉग पर एक वेचैन हिन्दुस्तानी की वैचारिकछटपटाहट परिलक्षित होती है । यह वेचैन हिन्दुस्तानी कभी इकसठ साल पुराने मुद्दे को उठाता है तो कभी मायावती और पेप्सिको प्रमुख इंदिरा नुई के बीच की समानताओं को । इस ब्लॉग की सबसे बड़ी खासियत है ब्लोगर की दृढ़ता । ब्लोगर कभी ग्लोबलायिजेसन के अंतर्विरोधों को सामने लाने की कोशिश करता है तो कभी विदेशी व्यापार के असर को रेखांकित करते हुए इसके सकारात्मक पहलुओं की विवेचना भी ।

यह एक गंभीर ब्लॉग है और इस पर अनेकों गंभीर विषयों को बड़े सहज ढंग से उठाया गया है ।

शिक्षा और समाज के बाद आईये चलते हैं भारतीय लोकतंत्र के तीसरे स्तंभ न्यायपालिका की और। जी हाँ न्याय के विभिन्न पहलुओं से रू-ब-रू कराने वाला ब्लॉग है
“अदालत “

अदालती कार्यवाही और फैसलों का समग्र प्रभामंडल है यह ब्लॉग। हम फैसलों को व्यक्तिगत हार- जीत के रूप में देखते हैं , जबकि इनका मकसद होता है सामाजिक व्यापकता। एक तरफ़ जहाँ लोकेश कर्णाटक हाई कोर्ट के फैसले का जिक्र करते हुए बिकलान्गता के पैमाने की चर्चा करते हैं , वहीं दूसरी तरफ़ अदालतों की भाषा शैली पर भी प्रश्न चिन्ह लगाते हुए अपने विचारों को पूरी दृढ़ता के साथ रखने में कामयाब होते दिखते हैं ।

कहीं-कहीं ब्लोगर तो किसी बेजान से मुकदमें से सामाजिक प्रसंग ढूंढता हुआ दीखता है, तो कहीं भूत-प्रेत के मुकदमों से सनसनी पैदा करता हुआ। कुल मिलाकर यह ब्लॉग काफी दिलचस्प है।

समयबद्ध भविष्यवाणी के साथ अनिश्चय से निश्चय की ओर कदम बढाती ज्योतिष की नई शाखा है एक ब्लॉग , जिसका नाम है
गत्यात्मक ज्योतिष ब्लोगर हैं बोकारो झारखंड की संगीता पुरी।

ज्योतिष एक ऐसा विषय है जिस पर लोगों के विचारों में काफी मतभेद देखने को मिलता , कोई इसे अंध विशवास तो कोई विज्ञान की संज्ञा देते हैं । विचारों पर कार्यों का प्रभुत्व बनाने वाले कुछ लोग जो इसे अंध विश्वास की संज्ञा देते हैं वही किसी अनजाने भय से ग्रस्त होते ही ज्योतिषीय सलाह लेने से पीछे नही हटते । खैर विचारों का यह द्वंद चलता रहेगा , मगर कुल मिलाकर यह चिट्ठा ज्योतिषीय सलाहकार के रूप में अपनी पहचान बनाने में सफल रहा है ।


भीतर झांकने का जो हमारा दर्शन है वह पिछले संस्कारों को जानने तथा परिष्कृत करने के लिए है । जीवन चक्र की अनुभूति करने वाला एक ब्लॉग है
सच्चा शरणम ब्लोगर हैं उत्तर प्रदेश के छोटे से शहर सकल डीहा के हिमांशु । यह ब्लॉग हमें हमारे भीतर की यात्रा कराता है।

यह ब्लॉग कर्म और अकर्म के बीच झुलाते मानवीय भावनाओं के अंतर्विरोधों को आयामित करता हुआ दिखाई देता है । हमारेजीवन का आधार है मन। मन है तो इच्छा है । इच्छा है तो गतिविधि है , लक्ष्य है, कार्य कलाप है , जीवन है । मन क्या है ? इसका स्वरूप , इसका कार्य , इसका वातावरण कैसे तैयार होता है ? जानना हो तो इस ब्लॉग पर एक बार अवश्य आईये …..

एक कविता की यह पंक्तियाँ है, कि-" अनजाने में फ़िर भी अनजान नही /दबे पाँव आहट मन- मस्तिस्क को रौंदती आगे बढ़ी/घोर निद्रा , फ़िर अधजगे में वह सपना मन में उठे आवेग को शायद सुलाने का प्रयत्न किया / उसकी ही याद में फ़िर एक बार तंद्रा भंग हुयी और भूल गया कि मैं कौन हूँ ?" इन प्रश्नों का हल ढूँढना हो तो आ जाईये
स्वप्न लोक पर । ब्लोगर हैं विवेक सिंह ।

ब्लोगर अपनी अत्यन्त सूक्ष्म-अनुभूतिओ के माध्यम से ले जायेगा एक सपनों की दुनिया में , जहाँ पहुँच कर कोई भी पाठक चौंक जायेगा एकवारगी । अत्यन्त ही सुंदर है विवेक सिंह की अनुभूतियों से रचा- बसा यह ब्लॉग।

मेरी जानकारी में कई तकनीकी चिट्ठे हैं जो वर्ष-२००८ में धमाल मचाते रहे मगर सबकी चर्चा करना संभव नही । तो आईये कुछ चिट्ठों पर प्रकाशित तकनीकी पोस्ट जो मुझे अत्यन्त उपयोगी लगी उसी की चर्चा करते हैं -

पहला चिट्ठा है "Raviratlami Ka Hindi Blog " इस ब्लॉग पर ०१ अक्तूबर को एक पोस्ट प्रकाशित हुयी " ये फीड क्या है ? ये फीड ? और,आपके चिट्ठे की पूरी फीड क्यों जरूरी है ?" दूसरा चिट्ठा है उन्मुक्त जिसपर १५ दिसम्बर को प्रकाशित "फ्रेमिंग भी ठीक नही .... । " इसी प्रकार छुट-पुट पर १३ दिसंबर को प्रकाशित "ओ एस-२/ जिंदा रहना चाहता है ... । "॥दस्तक॥ पर२२ अक्तूबर को प्रकाशित " चिट्ठे पर फाईल अप लोड कीजिये "। सुनो भाई साधो........... पर २७ अगस्त को कई भागों में प्रकाशित "ब्लॉग पेज को कैसे सजाएं ...... । "अंकुर गुप्ता का हिन्दी ब्लाग पर २४ अगस्त को प्रकाशित "अब उबंतू इंस्टाल बिना किसी दिक्कत के " । kunnublog - Means Total Entertainment पर १३ नवम्बर को प्रकाशित "ओपेरा मोबाईल को कंप्यूटर बनाता है और हिन्दी फिल्म देखे और ब्लागींग कंप्यूटर की तरह कर सकते हैं ..... ।" Pratham पर ०५ नवम्बर को प्रकाशित " File Sharing आपके Mobile से ही । हिन्दी ब्लॉग टिप्स पर ३० अक्तूबर को प्रकाशित "सबसे आसान आरकाइव (सभी प्रविष्ठियां दिखाएं) "diGit Blog हिन्दी पर १६ अक्तूबर को प्रकाशित "एचटीसी टच एचडी की एक नई फीचर…।"Control Panel कंट्रोल पैनल पर २८ अगस्त को प्रकाशित "How to improve Apple iPhones Battery life?"e-मदद पर २६ अगस्त को प्रकाशित "कोई फ्री में वेबसाइट (डोमेन) दे तो थोड़ा सावधान रहें ।"नौ दो ग्यारह पर १९ अगस्त को प्रकाशित "गूगल पर बीजिंग २००८"समोसा बर्गर पर २८ अगस्त को प्रकाशित "अपने कंप्यूटर पर वर्डप्रेस इंस्टाल तकनीकी दस्तक पर ०९ अगस्त को प्रकाशित "आप का काम आसान बनाये.. " आदि प्रशंसनीय कही जा सकती है ।

वर्ष-२००८ में उपरोक्त चिट्ठों के अतिरिक्त और चिट्ठे भी थे , जिसपर अच्छी-अच्छी जानकारियां प्राप्त होती रही , वे महत्वपूर्ण ब्लॉग हैं - मानसिक हलचल...... /सारथी... /hindiblogosphere .../टेक पत्रिका.../ Blogs Pundit... /हि.मस्टडाउनलोड्स डॉटकॉम... /Vyakhaya... /दुनिया मेरी नज़र से - world from my eyes!!... /घोस्ट बस्टर का ब्लॉग... /ज्ञान दर्पण... /Cool Links वैब जुगाड़... /अक्षरग्राम... /लिंकित मन... /मेरी शेखावाटी... आदि चिट्ठों पर भी समय-समय पर सारगर्भित तकनीकी पोस्ट देखने को लगातार मिले हैं ।


समय की प्रतिबद्धता के कारण बहुत सारे तकनीकी ब्लॉग की चर्चा नही की जा सकी है , मगर यह कदापि न सोचा जाए कि उनके ब्लॉग पर सार्थक पोस्ट नही परोसी जाती । अगले और अन्तिम भाग में हम आपको बताएँगे कि कौन-कौन से ब्लोगर वर्ष- २००८ में नए ब्लोगर हेतु प्रेरणास्त्रोत रहे और किस ब्लोगर का योगदान हिन्दी ब्लॉग जगत में नई क्रान्ति लाने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा सकता है ...!

4 टिप्पणियाँ:

  1. अच्छी जानकारी दी है आपने
    धन्यवाद
    dabirnews.blogspot.com

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  2. आपके लेखों की श्रंखला मेरे लिए वरदान के सामान है ...कृपया अपना मोबाइल नम्बर और E-mail ID मुझे भेजने करने की कृपा करें ...में आपका सदा ऋणी रहूँगा ...

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  3. बहुत सारे उपयोगी चिट्ठों से परिचय कराया ..आभार

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